मेरे दर्द की कुछ इन्तहा होती तो कुछ बात होती,
मेरी चाहत तुम समझ पाती तो कुछ बात होती,
फ़िर इस तरह से मुझसे दूर जाने का फ़ैसला तुम न लेती,
मेरी खामोशियों की वजह तुम समझ पाती तो कुछ बात होती,
मेरी मुस्कान के पीछे का दर्द तुम समझ पाती तो कुछ बात होती,
मेरी नज़रों को तुम पढ़ पाती तो कुछ बात होती,
अपनों को ही दर्द का एहसास बोल के कराना पड़े तो क्या अपने हुए,
मेरे बिन कुछ कहे तुम सब समझ पाती तो कुछ बात होती........
1 comment:
मेरे दर्द की कुछ इन्तहा होती तो कुछ बात होती,
मेरी चाहत तुम समझ पाती तो कुछ बात होती,
"behtreeen"
कुछ मेरे सुनती कुछ अपनी कहती,
यूँही बातों बातों मे कुछ बात होती....
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