Friday, April 11, 2008

उसका आना.....

खत्म होती सांसों पे भी उसीका इख्तियार है...
भले ही वो सितमगर है,फिर भी उसीसे प्यार है...
चाहे पागलपन कहलो,या कहलो दीवानगी मेरी....
केसे भुलादुं उसको , आखीर मेरा पहला प्यार है....

उसका आज भी ख्वाबों में आना सुकून देता है....

उसका आज भी नखरे दिखाना सुकून देता है....

महक उसकी अपनी सांसो से मिटाऊ केसे....

मेरी हर धड़कन में आज भी उसीका प्यार है....

1 comment:

Rakesh 'Gum' said...

One thing i wana say , Dude u have th real talent , in my surrounding , i never found anyone , who can write like this....this is superb.....keep the spirit up....