उन्हें गिला है , क्यों सबको ख़बर है मेरे प्यार की...
पर ये खता मेरी नही , शायद लोग आंखों मे देख लेते है सूरत आपकी...
जो ख़ुद ही बेखबर हो , वो क्या किसी को ख़बर करेगा...
हाँ शायद ये चुगलिखोर , खामोशी हो आपकी.....
यूं ही इत्तेफाकन हुई कितनी मुलाकातें याद रहती है...
यूं ही किसी मोड़ पे मिली कितनी सूरतें याद रहती है...
कहते है की आशिकों को खुदा मिलवाता है...
पर हमें तो ये जादूगरी लगती है आपकी ........
1 comment:
vishnu ji, bhut badhiya. likhate rhe.
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