Friday, May 1, 2009

कसक.....

है गर ज़िन्दगी कहीं, तो वोह सिर्फ़ तेरे पास है....
तुझसे दुरी की तस्सव्वुर भी कर देती मुझे उदास है...
है बस कसक यही की, काश हम बहुत पहले मिले होते...
क्यूंकि तुझसे मिलने से पहले की मेरी हर कहानी बकवास है....

यूँ नही है की पहले मैं इस "कशिश" से नावाकिफ था...
पर तेरी कशिश के आगे वो कशिश बस कयास है....
हर किसी को होती होगी आशिकी इस कायनात में.....
पर यकीं कर मेरी आशिकी अपने आप में ख़ास है...

1 comment:

रवि रतलामी said...

"...क्यूंकि तुझसे मिलने से पहले की मेरी हर कहानी बकवास है...."क्या सचमुच? वैसे, तारीफ का ये मौलिक अंदाज पसंद आया. :)