Saturday, July 25, 2009

जख्म....

कभी कभी कुछ बातें गहरे जख्म दे जाती है....

और कभी कभी कुछ बातों से ही जख्म सिल जातें है...

कभी कभी ये जख्म ताउम्र नही सिल पाते...

और कभी जख्म सिल जाते है, पर निशाँ रह जातें है...

1 comment:

ओम आर्य said...

jakhma aise hi hote hai ......par kuchh gahare uatar jate hai ....sundar