Sunday, April 18, 2010

ख्वाब...

ख्वाब में ही आजा के, हकीक़त में तो जाने कब मुलाक़ात होगी....


तेरी परछाइयों पे ही मर मिटा हूँ मैं तो....

क्या पता क्या आलम होगा दिल का......जिस दिन तू सच में मेरे साथ होगी...

1 comment:

Apanatva said...

sunder bhav.........
shubhkamnae.......