Sunday, May 2, 2010

खुमार.....

सुबह से शाम तक इन्तजार रहता है.....
यह दिल हर लम्हा बेकरार रहता है....
जनता हूँ तू मंजिल क्या हमराह भी नही मेरा....
फिर भी हर लम्हा तेरा ही खुमार रहता है......

1 comment:

Apanatva said...

sunder abhivykti.