Thursday, June 10, 2010

एक बार फिर अजनबी बन जाये...

सफ़र की शुरुआत में ही पता था की...
सफ़र का अंजाम क्या होना है....
फिर भी इतनी दूर तक साथ साथ चले आये....
अब जब थक गए है चलते चलते तो....
कह रहे, चलो एक बार फिर अजनबी बन जाये...

तुम्हे भूल जाना मुमकिन नही...

भूलने के लिए भुलाने की कोशिश करनी होती है....
हम तो तुम्हे हर पल का साथी बनाना चाहते है.....
धड़कने जैसे दिल का एहसास कराती है सीने में....
तुम वो एहसास हो जो मजा लाती है जीने में...