खामोश रहना जबसे मेरी फितरत हुई है ...
लोग मुझे मगरूर समझते है ....
मैं समझने देता हूँ जो वो समझे ...
बोलता हूँ तो भी कहाँ बेक़सूर समझते है ....
लोग मुझे मगरूर समझते है ....
मैं समझने देता हूँ जो वो समझे ...
बोलता हूँ तो भी कहाँ बेक़सूर समझते है ....
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