मोह्होबतों के दौर आज भी कायम है ....
एहसासों में आज भी गर्माहट है ...
आज भी धड़कने उसी शिद्दत से बढ़ जाती है ...
जब तू शरारत से मेरे पास आती है ....
एहसासों में आज भी गर्माहट है ...
आज भी धड़कने उसी शिद्दत से बढ़ जाती है ...
जब तू शरारत से मेरे पास आती है ....
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