Monday, August 19, 2013

मोह्होब्बत्त… के गुल

 क्या क्या गुल खिलाती है मोह्होब्बत्त ,,,,
कैसे कैसे मंज़र दिखाती है मोह्होब्बत्त ,,,,,
दिल टुटा है भी गर अपना इसमें ,,,,,
जाने क्यों उसका नाम आते ही जाग जाती है मोह्होब्बत्त…

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