Saturday, August 10, 2013

दिल-ए-नादाँ

ख़ामोशी से टूट जाता है। ….
अकेले में सिसक लेता है। ….
तनहाइ के नग्मे गा लेता है। ।
खुद ही फिर संभल भी जाता है। …. ये मेरा दिल-ए-नादाँ 

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