गुनेह्गारों के माथे पे शिकन तक नहीं आती। ।
गुनाह-ए-अज़ीम भी शान से कर जाते है। ….
मुश्किल हुआ मजलूमों को इन्साफ मिलना। …
बस दर बदर की ठोकरें खा के रह जाते है। ….
गुनाह-ए-अज़ीम भी शान से कर जाते है। ….
मुश्किल हुआ मजलूमों को इन्साफ मिलना। …
बस दर बदर की ठोकरें खा के रह जाते है। ….
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