Monday, December 30, 2013

कुछ खामिया

कुछ खामिया तुझमे है। ।
बहुत सी मुझमे भी। ।
एक दूजे पे इलज़ाम से बेहतर। …
क्यों न साथ बैठ दूर किया जाये। … 

No comments: