Saturday, February 22, 2014

मोह्होब्बत

मोह्होब्बत वो नहीं जो हमने अफ़सानो में सुनी थी
मोह्होब्बत ये है जो मैंने तुझसे कि है
मोह्होब्बत वो नहीं जो किताबों में लिखी है
मोह्होब्बत वो है जो मेरे दिल ने इज़ाद कि है

किसी एक के निभाने से निभती गर मोह्होब्बत
तो हर रोज़ कितने ही अफ़साने बिखरते फ़िज़ाओ में
 कुर्बानिया देकर मोह्होब्बत करना पुराने वाकये है
मुझे मेरी मोह्होब्बत से बराबर कि आस है

गर ठुकरा दिया उसने बहुत दूर साथ चलके
मैं रोऊंगा तड़पूँगा लौट आने कि गुज़ारिश करूँगा
गर वो ये ख्वाब सज़ाए बैठे है तो
कहदो उन्हें ये सब उनके खयाली पुलाव है 

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