Saturday, July 25, 2009

तनहा सफर...

खुश नही होता हूँ मैं आजकल, तुझे खुश देखकर....

जबकि तेरी खुशी में ही मेरी खुशी थी कभी.....

हार जाता हूँ मैं अक्सर आजकल, जहाँ जितने की आदत थी मुझे...

शायद इसलिए की तू जो मेरे साथ नही है....

ज़माना रुसवा हो जाता जो हम मिल जाते....

बस इतनी सी बात ने हमारी राहें बदल दी......

है ये सच की ये फासले मैंने ही पैदा किए है....

पर यूँ अलग अलग राहों पे चलने की हिम्मत न कल थी, न आज भी है...

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