एक साथ पलकें उठती थी दोनों की, कभी जागने को...
एक साथ पलकें झुकती थी दोनों की, कभी सोने को....
और आज ये आलम है की, उन्हें फुर्सत भी भी नही...
की तफ्तीश भी करले, हमारे जिंदा होने की.....
राहे उल्फत में ही क्यों लोग बिछड़ जातें है.....
जब वक़्त आता है कुछ करने का तो मुकर जातें है....
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