Monday, June 3, 2013

मोह्होब्बत कोई सौदा नहीं ...

जलता है दिल उनकी बेरुखी से बेहद ..
पर मोह्होब्बत कोई जबरदस्ती का सौदा नहीं ....

दिल की सल्तनत

उन्हें दिल की सल्तनत क्या देदी ...
जैसे चाहे हमे चलाने लगे ....
जब जब तलब लगी हमे उनकी ...
दिल तोड़ के जाने लगे ....

मेरा जिक्र

सुना है आजकल मेरा जिक्र वो ..
खुद से भी नहीं करते ....
इतने भी बुरे नहीं हम ...
जितना वो समझ बेठे हमे ....

लुफ्त न बाकि रहा मोह्होब्बत में तो

कुछ लुफ्त न बाकि रहा मोह्होब्बत में तो ....

चलो अजनबी बनके फिर से एक आगाज़ करते है ....

ख्वाब ही भेजने का ....वादा कर .

तू मिलने नहीं आ सकती ...
कोई बात नहीं ....
कम से कम वादा कर ...
अपने ख्वाब ही भेजने का ....

क्यों अजनबियों सा पेश आता है मुझसे ....

 कुछ मुलाकातें सरे आम नहीं होती ...
मुनासिब है ज़माने से पर्देदारी उनमे ...
कभी वक़्त मिले तो तारुफ़ कर मुझसे ....
तेरा दिल हूँ ...क्यों अजनबियों सा पेश आता है मुझसे ....