Tuesday, January 28, 2014

दिल का मकान

बस एक हसरत कि, कभी तो मैं भी तुझे याद आऊं

गर न कर सके तो , तू भी मेरे दिल का मकान खाली कर। …। 

Monday, January 27, 2014

फितरत ए इश्क़

है फितरत ए इश्क़ ये,
कह रहा हूँ अपने तजुर्बे से
मुझे है जिससे उसे मुझसे नहीं
जिसे मुझसे है मुझे उससे नहीं। …… 

Tuesday, January 21, 2014

उल्फत या कुछ और

है ये उल्फत या कुछ और
वो आज भी मेरे लिए फिक्रमंद रहते है
जुबान से कुछ नहीं कहते मुझे
लोगो से खैरियत मेरी लिया करते है 

Sunday, January 19, 2014

तेरा नज़रअंदाज़ करना

 तेरा नज़रअंदाज़ करना कितने ख्याल लाता है जेहन में 

कभी मौकापरस्त तो कभी मगरूर तुझे कहता है दिल 

Friday, January 17, 2014

तोहमत

सिवाय तोहमतों के कुछ न हासिल होगा
समझाया था दिल ए नादाँ को
सुनी हो कभी जेहन कि तो सुनता
अब इलज़ाम देता है नसीबां को


दीवानगी

हमें एहसास है कि वो जूठी कसम खा रहे है

दीवानगी देखिये हम फिर भी ऐतबार किये जा रहे है 

Monday, January 13, 2014

झूठी कसम

हमे एहसास है कि वो झूठी कसम उठा रहे है। ।
.
दीवानगी देखिये हम अभी भी ऐतबार किये जा रहे है। ।

अजब फितरत

उनकी फितरत है
हर बात में मेरा मश्विरा लेने कि
पर इन्दियह (राय ) जुदा हो तो
खफा हो जाते है। ....


कुछ एहसास

यूँ तो नहीं कि दिल से तुझे भुला दिया
पर वादा न रुस्वा हो तेरा नाम नहीं लेता
तड़प मुसलसल रहती है दिल में तेरी
पर कुछ एहसास न ही निकले तो बेहतर है। … 

Wednesday, January 8, 2014

किससे रश्क़

बड़े सुलगे हुए रहते वो हरदम। ....
जाने किस बात से खफा है इन दिनों। ।
जाने खुद कि नाकामी से खफा है। …
या किसी के इक़बाल से रश्क़ कर बैठे। …


Monday, January 6, 2014

अक्सर …

अक्सर  … मैं मुज़रिम कहलाता हूँ
क्योकि बेवजह इल्ज़ामों का जवाब नहीं देता।

अक्सर ....  मैं गुस्ताख कहलाता हूँ
क्योकि उल जुलूल लोगो को जवाब नहीं देता।

अक्सर .... मैं दिलचस्प नहीं होता
क्योकि बेवजह लोगो कि तारीफ़ नहीं करता।

अक्सर .... मैं भीड़ में तनहा होता हूँ
क्योकि जिनसे दिल नहीं मिलता, हाथ नहीं मिलाता।

अक्सर.... लोग छोड़ देते है मुझे बिच सफ़र
क्योकि हर बात में उनकी अपने सुर नहीं मिलाता।