Thursday, November 29, 2012

bachpan ke din suhane....

bachpan ki wo mithi yaden...
dosto ke sath ki bate...
kese bhul sakta hai koi...
wo masoom shararten...
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wo chupke chupke choklate khana...
bhai behen se chhupake par dosto me bantna..
doston ke bin kahin na rah pane ki aadat...
har pal doston ke sath hi rahne ki chahat...
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sabse pichhe wali bench pe bethna...
teacher se nazar churake wo hasna...
school ke bad ki har baat share karna...
sham ko park me milne ki planing karna...
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khel khel me ek dusre se zagadna...
fir gusse se game se quit karna...
agle din fir khud hi manane jana...
bina doston ke kaha bhata khana....
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barsaton me chhat pe dhoom machana
bhig ke fir wo bimar pad jana...
doctor ke pas jane se katrana...
mummy papa se fir dant khake muh foolana..
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kese mumkin hai itni meethi yade bhul jaye...
kash ki wo bachpan ke din fir lout aaye...
:)

चेहरे पे चेहरा ....


किसके दिल में क्या छुपा है ...
रु-ब-रु होके भी कहाँ जान पाते है ...
कितनी संजीदगी से देखो लोग ...
चेहरे पे चेहरा लगा लेते है ....

Wednesday, November 21, 2012

Salgirah

kabhi hum bhi aazadi se ghuma karte the...
hume dekh kai log rashq kiya karte the...
fir humne bhi khatam karli apni aazadi...
aur kar baithe hum bhi kisi se shadi...
us din se humpe jalne wale muskurate hai...
unki muskaan kya hum samajh nahi pate hai...
khoi jis din humne bachlor ki degree....
bivi us din master ki deegree pane ki salgirah manate hai... :)

trasadi....


kabhi kabhi zindagi me aate hai ese
bhi makam...
ki khatawar hi laga jate hai humpe
ilzam...
bujhane jate hai kisi ke ghar ki aag...
jala bethte hai hum khudko tamam....

Friday, November 9, 2012

हिंदुस्तान में शादी .....

हिंदुस्तान में शादी .....

कहते है सब की शादी है जरुरी, जीवन निर्वहन के लिए
कहते है सब की शादी है जरुरी, वंश वर्धन के लिए
कहते है सब की शादी है जरुरी, सामाजिक जीवन के लिए
कहते है सब की शादी है जरुरी, परंपरा निर्वहन के लिए

पर हिंदुस्तान में शादी, आबादी या बर्बादी?
पहले तो लड़कियों का बिगड़ा अनुपात
फिर उसमे मिलती नहीं जांत पात
रस्मो रिवाजों का लम्बा लेखा जोखा
दहेज़ में चाहिए "पेटी" या "खोखा"
खाने को घर में या न हो, स्टेटस चाहिए
बारातियों का स्वागत ढंग से होना चाहिए

मिल जाये लड़का और लड़की, यही काफी नहीं
पहले देख तो लो लड़की का मंगल तो भरी नहीं
स्वाभाव मिले या न मिले कोई
पर कुंडली में गुण न मिले तो रिश्ता नहीं ...
यहीं भी बात ख़तम हो जाये तो गनीमत है
पर आगे भी है अनगिनत पेंच कई

रस्मों के नाम पे बारातियों की मनमनियाँ
स्वागत के नाम पे फरमायिशों की कहानियां
खुद के घर पे कैसे भी खाएं कोई हर्ज़ नहीं
बारात में जाके नुख्स जरुर बताते
उपहार नहीं दिया जाये इन्हें गर
घराती को कंजूस तक कह जाते

कितना अच्छा हो गर शादी बस खुशियों का मेला हो
लोक दिखावे की जगह दिल मिलाने का मौका हो
स्टेटस मेन्टेन करने की न कोई बंधन  हो
बस सादगी से इस रीत का  निर्वहन हो
ऐसी शादी, यादगार सम्मलेन हो ....



Thursday, November 8, 2012

कदरदान

तुम बने कदरदान तो निखर गया मैं ...
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वरना मैं पत्थर से ज्यादा कुछ नहीं ....

jurrat nahi tufano ki...

aye jaljale kai niyat se hume hilane ki...
kiske bas ki baat hai hume digane ki.....
bah jate hai hum hawa ke madhur jhonke se bhi....
berukhi se girade itni jurrat nahi tufano ki...

लुटा हुआ हूँ

लुटा  हुआ हूँ तुझसे या मैंने तुझे लूटा है ....
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लोगो को इसमें हमसे ज्यादा दिलचस्पी है ....

सितम का एहसास

उसके आखिरी इलज़ाम तक खामोश रहा मैं ...
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इस उम्मीद में की उसे अपने सितम का एहसास हो जाये ....

Monday, November 5, 2012

उल्फत की हर बात

उल्फत की हर बात निराली होती है ए दोस्त ....
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कभी बिना बात मुस्कुराये, हर पल बस उनके की ख़यालात ....

इश्क की तहरीरें

गुजर गयी ज़िन्दगी ..
इश्क की तहरीरें लिखते ...
सहर - ओ - शाम का हिसाब  ..
अब किसे है पता ...

निशब्द

आते है वो सामने तो धड़कने थम जाती है ....
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जुबान की क्या मजाल जो कुछ बोल पाए ....


नहा लेता हूँ अश्कों से

नहा लेता हूँ अश्कों से जब तेरी याद आती है ...
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बस दामन का भीग जाना अब गुजरे ज़माने की बात है ...

मेरी जज्ब की इन्तेहाँ ....

चलते मेरी ख़ामोशी के ...
उसके सितम बढ़ते गए ...
शायद ले रहा है वो ...
मेरी जज्ब की इन्तेहाँ ....

Thursday, November 1, 2012

कुर्बत -ए - इश्क

कुर्बत -ए - इश्क है मुझसे ...
कोई पूछे तो बता देना ...
यूँ ज़माने डर  से ...
आशिक को तडपना अच्छा नहीं ...

मेरी ख़ामोशी

बता भी देता हूँ तो समझ नहीं पाते लोग ...
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तूने वो बात बस मेरी ख़ामोशी से जान ली ....


मेरी यादें

गर मुमकिन है भुलाना मुझे ...
तो भुला के दिखा ...
मेरी यादें किसी मौके की मोहताज नहीं ....

हसरतें

मोह्होब्बत हो गई ज़िन्दगी से ....
तुझसे मिलने के बाद ...
साथ तेरे  की जीने की ....
हसरतें जो पल गई दिल में ....