Sunday, September 30, 2012

वो संगदिल है ...

वो संगदिल है ...
कैसे मानले ....
गर होते तो ...
हम बिखर न जाते ..
उनसे टकराकर ...?

Saturday, September 29, 2012

कशमकश

शब्दों की बाजीगरी, हमे नहीं आता ....
बेबाक बयां, दुनिया को रास नही आता ...
खामोश रहना, दिल को नहीं गवारा ....
करू तो करू क्या, ए दिल तू ही बता ...


Friday, September 28, 2012

मेरी जान ..

देखते है उनकी राह ...
उनके जाने से, उनके लौट के आने तक ...
जाने क्या कशिश है उनमे ....
जाते है तो ले जाते है, आते वक़्त ले आते है मेरी जान ...

खताए ....

किसको खतावार कहें ...
किसको सजा दें ...
सब गलतियों के पुतले है ....
आखिर सब इंसान ही है ....


नसीहतें देना उन्हें खूब आता है ....

सुर्ख़ियों में रहना उन्हें खूब आता है ....
मजमे लगाना उन्हें खूब आता है ....
खुद पे लागु करे न करे .....
नसीहतें देना उन्हें खूब आता है ....

Wednesday, September 26, 2012

नकाब

वो एक शख्स , मेरा अक्स सा है ....
मैं मुरीद उसका, वो मेरा रहनुमा ...
एसा ख्याल था मेरा, उसके बारे में ...
जब तक किसी ने उसका, नकाब न नोचा ....

Monday, September 24, 2012

नयी सोच

तलब है जहाँ भर को समेत लूं खुद में ....
पर जरा भी कीमत अता करने में गुरेज है ...
रफ्ता रफ्ता बंद कर लिए है सब सूराख जेहन के ....
कोई जगह नहीं इसमें नयी सोच आने की .....

Friday, September 21, 2012

उनकी रोज देर से आने की आदत

इत्तेफकान हुई मुलाक़ात फ़साना बन गई ....
उनकी जुस्तजू मोह्होब्बत सिखा गई ...
किसी का इन्तजार करना यूँ राहों में,हमारी फितरत न थी ...
उनकी रोज देर से आने की आदत, वो भी सिखा गई ....

मुहब्बत की तो समझे

मुहब्बत की तो समझे
बेपनाह दर्द भी है इसमें ....
वरना इस अल्फाज में ही ...
सारी कायनात की खुशियाँ थी .....

मेरा जूनून

मेरे ख्वाब भले ही ....
अब तक हकीक़त में न बन पाए ....
पर मुझे फक्र है मेरी राह के रोड़े ...
मेरा जूनून डिगा न पाए ....

उनके नूर से ही नूर मिला ..


उनके आने के इंतज़ार में हमनें;
सारे रास्ते दिएँ से जलाकर रोशन कर दिए!
उन्होंने सोचा कि मिलने का वादा तो रात का था;
वो सुबह समझ कर वापस चल दिए

उस रात चिराग भी पुरे जोश में थे ...
ऐसे जले की रात को भी दिन का मंजर बना दिया ...
जब गिला किया चिरागों से मेने ...
बोले दोस्त , हमे तो उनके नूर से ही नूर मिला ....

तेरी बेशकीमती याद ...

करवटे बदल के गुजर जाती है रात ...
नींद आये तो हो ख्वाबों में मुलाक़ात ....
मेरी ज़िन्दगी की कुछ कीमत नहीं बेशक ...
मेरे जीने का सबब है तेरी बेशकीमती याद ....

एक जख्म

परवाह न की एक जख्म कि...
तो आज वो नासूर बन गया ...
उनकी बेरुखी की नज़र अंदाज ...
वो मुझसे बहूत दूर हो गया ....

नजर के सामने ..

जब तक रहा नजर के सामने ...
नज़र अंदाज करते रहे ...
आज रोते है जार जार ...
लिपट के तस्वीर से मेरी ....
जब हम उनकी दुनिया छोड़ आये ....

किसी पागल कवि की कविता हो तुम ...

किसी पागल कवि की कविता हो तुम ...
खुद को भूल जाऊं वो नशा हो तुम ...
होश आये न कभी, ये ही बेहतर होगा ...
सपना ही सही मेरा अपना हो तुम ....

कायदे ....

हुस्न वालें क़त्ल भी करदे ...
सजा के हक़दार नहीं ....
मेने जान भी गवां दी इश्क में ...
मेरी रूह को भी लोगो ने बक्शा नहीं ...


अपनी अपनी फितरत ....

समझ ही पाते गर ख़ामोशी वो ...
तो दर्द का सबब ही न होता ....
वो अपनी फितरत से मजबूर है ...
और हम अपनी से ....

Thursday, September 20, 2012

सिसकता था दिल....

 मैंने दिखाए नहीं अश्क अपने ...
और उसने देखे भी नहीं ....
वो और दौर था यारों ...
जब सिसकता था दिल भी
तो वो जान जाते थे ...

सबब -ए-अदा ...

यूँ देख के भी नजर फिरा लेना ....
और कहना की नज़र अंदाज नहीं किया ...
मान भी लूं तेरी दलील गर ...
समझ नहीं पाया हु सबब -ए-अदा ...

Tuesday, September 18, 2012

बंटवारा नहीं चाहिए ....

किसी ने कहा दिल्ली बाँट दो ....
किसी ने कहा उ . पी . बाँट दो ....
कोई बोला अ . पी . बाँट दो ...
तो किसी ने कहा कश्मीर बाँट दो ....

मराठी नेता बोला ....
महारास्त्र मेरा है ...
में महाराष्ट्र से ...
सबको भगा दूंगा ....

बिहारी नेता बोला ....
बिहार मेरा है ....
मैं मेरे इलाके में ...
बाकि सबको तकलीफ में ला दूंगा ....

मैं जो अब तक खामोश था ...
सब नेताओं से कहा ...
हिन्दुस्तान मेरा है सुनलो ...
मेरी हट गई तो तुम सबकी वहाट लगा दूंगा ....


मजमा लगा है

मजमा लगा है तमाशबीनो का .....
मंजर है मेरे इश्क की रुसवाई का ....
वो भी पत्थर लेके खड़े है ....
जिनपे इल्जाम है बेवफाई का .....

Thursday, September 13, 2012

मंजिल

आवारा क़दमों की कैसी मंजिल ....
चले जाते है जहाँ राहें ले जाती है ....
थक के जिस जगह शाम कर ली ....
वो ही उस दिन की मंजिल बन जाती है ...

Sunday, September 9, 2012

मेरे ही गुलशन के कुछ फूल थे ...

लूट लेते है अक्सर वो ही .....
जिन्हें दिल अपना कहते नहीं थकता ....
जख्म दिए है जिसने मुझे ये ...
मेरे ही गुलशन के कुछ फूल थे ....

Thursday, September 6, 2012

गुनाह-ए -अज़ीम ...

एक मुख्त्सर सी मुलाक़ात
इश्क का बहाना बन गई ....
ये गुनाह-ए -अज़ीम ...
सोच समझ के नहीं किया मेने ...

गम न होगा तो

गम न होगा तो
ख़ुशी की कदर केसे करेंगे ....
खब्ती है वो लोग ...
जो हर पल खुश रहने की दुआ करते है ...

मेरे जीतेजी न कहा।।

जब तक पास था मैं ...
उन्हें न वक़्त था मेरे लिए ....
अब दूर  गया हु तो ...
मेरी  से लिपट  रोते है ...

ज़िन्दगी भर तरसता रहा ...
जो अलफ़ाज़ सुनने को ...
वो कह रहे है मुझसे ...
जब तस्वीर बनके दीवार पे लटक गया हूँ ....


Wednesday, September 5, 2012

वफ़ा की शर्त

प्यार शर्तों पे हो ...
ये न गवारा था मुझे ...
और उसने हर वफ़ा की ...
कोई न कोई शर्त रखी थी ....

Netaji.....


Jo log aksar

wada karke bhool jaya karte hai

jane kese wo

aaine me najar mila pate hai...

bhoutiki yug me

har suvidha to pa lete hai

jane kese rula ke logo ko

chain ki neend so pate hai....

rajniti ke name pe

karodon ka dil dukhate hai...

mout to unhe bhi aati hai...

kya zameer se najar mila pate hai...???

Monday, September 3, 2012

baba ka thhappad...krodh ya prasad?

ye duniya kya hai...
Nashwar maya hai...
Tu kyu dukhi hai...
Tu kya sath laya hai....
.
. Kam, lobh, mad..
Moh, ahem, krodh tyago...
Ye kaya nirmohi hai...
Iske pichhe mat bhago...
.
. Ishwar se balwan na koi...
Usse bada mahan na koi...
Jo khudko usse balwan samjhe....
Usse bada moorakh na koi...
.
. Aaj tak sab babaon ne...
Yehi hume sikhaya hai...
Mantro ka chamatkar batate batate...
Ek baba ne thappad ka prasad aaj khilaya hai....

ख़ामोशी ....

 कितने ही राज लिए होती है ख़ामोशी ....
इकरार-ए -जुर्म का निशान भी होती है ख़ामोशी .....
दिल तोड़ देती है ये ख़ामोशी
हर जगह अछि नहीं होती ख़ामोशी .....