Friday, May 31, 2013

वो नज़रंदाज़ करते है ...

नज़र के सामने होके भी जब वो नज़रंदाज़ करते है ....

दिल ही जानता है की उसपे कितने तीर चलते है ....

छोटी सी खता

एक छोटी सी खता भी नासूर बन के सताती है ताउम्र ....

कोई हर्ज़ नहीं माफ़ी मांगने में रिश्ते बचाने की जानिब .....

उसकी बेरुखी

जलता है दिल उसकी बेरुखी से बेहद ....

पर मोह्होब्बत कोई जबरदस्ती का सौदा नहीं ....

इकरार न कर ....

लबों से चाहे तो इकरार न कर ....

तेरी बेरुखी तेरी नाराज़गी बयां कर रही है ....

तेरी आदत

  कुछ इस तरह से तेरी आदत हो गई है मुझे ....

एक लम्हा की जुदाई भी तबियत नासाज़ कर देती है ....

Sunday, May 19, 2013

खलिश

न जताया कर की खलिश है उनके बिना तुझे ....

लोग परेशां को और परेशान किया करते है ....

Saturday, May 18, 2013

मसरूफ

वो करते है दावा वाकिफ होने का मेरी हर साँस से ...



मैं कब वहां से चला आया किसी को पता नहीं ....


Thursday, May 16, 2013

एहसासों में गर्माहट....

मोह्होबतों के दौर आज भी कायम है ....
एहसासों में आज भी गर्माहट है ...
आज भी धड़कने उसी शिद्दत से बढ़ जाती है ...
जब तू शरारत से मेरे पास आती है ....

बेफिक्र अंदाज

देखके उसका वो बेफिक्र अंदाज सोने का ...
  जैसा की मेरे आगोश में हो ...
मेरे दिल से मेरा उसका रहनुमा होने का ....
वहम मिटा गया बाखुदा .....

Wednesday, May 15, 2013

आगाज़

बस एक आगाज़ की जरुरत थी
फासले दरमियाँ के मिटने को ....
ज़िन्दगी गुजार दी दोनों ने ...
एक दूजे की पहल के इंतजार में ....

जर्रा जर्रा सी दूरी

जर्रा जर्रा सी दूरी भी दरार बना गई ...
ख़ामोशी तेरी दिल में खलिश जगा गई ...
कभी तेरी तो कभी मेरी ....
ये मसरूफियत दरमियाँ के फासले बढ़ा गई ....


फासले भी...

  फासले भी कभी कभी इश्क परवान चढ़ा देते है ....

हर पल की नजदीकी में ही इश्क का मज़ा नहीं ,,,,,