Friday, December 28, 2012

अपनी मुसुकुराहट से जीने का सबब दे दे ...

दुआओं से मिली ज़िन्दगी को हादसों की सौगात न बुला ...
कीमत इसकी उनसे पूछ जो बेमौत मारे जाते है ..

रहम दिल खुदा ने तुझे ये ज़िन्दगी अता की ...
तू अपनी मुसुकुराहट से जीने का सबब दे दे ...

हादसे भुलाके आगे बढ़ना ही ज़िन्दगी है ...

हादसे भुलाके आगे बढ़ना ही ज़िन्दगी है ...

क्यूंकि हादसों से ज़िन्दगी रुका नहीं करती ....

मत भूल ...

मुस्कुराना बस खुदके लिए अकेले में ... काफी नहीं ...

मत भूल की तुझे देखके कई लोग जिया करते है ....

तेरी मुस्कान

किस तरह रोती है तू ... ये इल्म है मुझे ...
इसीलिए तेरी मुस्कान का खास ख्याल रखते है ....

मेरे अश्क ... तेरी तवज्जो

मेरे अश्क बस तेरी तवज्जो के मुन्तजिर थे ...

इसीलिए बस तुझे दिखे भरी बारिशों के बावजूद ....

मेरी चाहत

जुडी हो रूहें तो अल्फाज बस बहाना है ...

मेरी चाहत क्या है ये मुझसे बेहतर तुझे पता है ...

तेरी सोहबत

समझ तू कैसा भी बद दिमाग या दिलबर अपना ...

मुझे तो बस तेरी सोहबत की हसरत है ....

पर्दानाशिनी से तौबा करलो ...

तेरे दीदार से बड़ी राहत न कल थी न कल होगी ...

गुजारिश है पर्दानाशिनी से तौबा करलो ...

मेरी मुस्कान

देते इलज़ाम कैसे उसे ...
जिससे जीने का सबब है मिला ...
मेरी मुस्कान को अगर वो ...
इलज़ाम समझे तो क्या किया जाये ...

यकीं है खुदपे और अपने यार पर

मेरी उम्मीदों के चिराग किसी तेल के मोहताज़ नहीं ...

मुझे यकीं है खुदपे और अपने यार पर बहुत ...

ढूढने की बजाये महसूस कर ....

नज़र और एहसासों की बात है दोस्त ...

कहीं ढूढने की बजाये महसूस कर ....

उसे देख के मुस्कुराना....

मैं बर्बाद हूँ उसकी खातिर ...
उसको ये यकीं नहीं है ...
उसे देख के मुस्कुराने की ...
आदत आज भी कायम है .... ना 

मौत के खौफ से जीना तो न छोड़ ....

मौत को भूलजा ... ये नसीहत नहीं मेरी ....

पर मौत के खौफ से जीना तो न छोड़ ....

खुदगर्ज होके जीना

खुदगर्ज होके जीना आशिकों का मकसद नहीं ....

दर्द को जज्ब करके जीना आशिकों की पहचान है ....

तू महसूस तो कर

हम तेरे है ... क्या अभी भी वादे की जरूरत है ....

तू महसूस तो कर मैं तेरे ही साथ हूँ ....

ऐतबार और इंतजार

साथ है मोह्होब्बत अपने हर मुरीद के ...
.
बस जरुरत है ऐतबार और इंतजार की इसमें ....

मोह्होब्बत भीख नहीं ..

उसने कहा - मोह्होब्बत भीख है शायद ...
                   बड़ी मुश्किल से मिलती है ...

मैंने कहा - मोह्होब्बत भीख तो हरगिज़ नहीं ...
                 मांगने वाले को कभी नहीं मिलती .....

तेरे चश्म-ए-तर

तुझे सुकून मिलता है तो तेरे चश्म-ए-तर  में भी रह लूँगा
.
मुझे खोने के खौफ से ही सही, तू रोएगी तो नहीं ....

क़ुबूल है ये भी ....

खलता है उसका यूँ मुझसे बेरुखी करना ....
.
पर उसकी ख़ुशी है इसमें ही तो, क़ुबूल है ये भी ....

तकदीर की बात मोहोब्बत ....

दुआओं में हर पल माँगा तो भी न मिली मुझे ...
हो गई उसकी यूँ ही जिसने पलट के तक न देखा था उसे ...
यूँ कहूँ तकदीरों से मिलती है मोह्होबात तो हरगिज गलत न होगा ...
मैंने अक्सर देखा है इसे अपने निहायत ही बेकदार्दानों को मिलते हुए ....


Thursday, December 27, 2012

कल का हमदर्द

सहराओं में प्यासा रहना जायज है ...
दरिया भी मेरी प्यास बुझाता नहीं ...
वक़्त वक़्त की बात है मेरे दोस्त ...
कल का हमदर्द आज दर्द बंटाता नहीं ...

हुनरमंद माली की जरूरत है ....

उसने कहा - फिर नहीं बसा करते वो दिल
                   जो एक बार उजड जाते है जज्बात के तूफ़ान से ....

मैंने कहा -  फिर से बहाल हो सकता है दिल का हर जज्बात ...
                  बस एक अदद हुनरमंद माली की जरूरत है ....

एक पल को भी...

उसने कहा - याद आते हम भी कभी तुम्हे ...
                  हम भी काश की वाकये होते ....

मैंने कहा - तुम्हे शिकायत है की हम तुम्हे याद नहीं करते ....
                 दिल को पूछ मेरे गर एक पल को भी भूला हूँ  तुझे ....

वजह

उसने कहा - शिकवे तो बहुत है मगर शिकायत कर नहीं सकते ...
                   होठों को इज़ाज़त नहीं है तेरे खिलाफ बोलने की ....

मैंने कहा - बस  यही वजह है फसलों की दरमियाँ हमारे ....
                 तुम दिल की बात लबों पे नहीं लाते हो .....

इबादत का शउर

दिल रख दिया तेरे क़दमों में मैंने ....
इबादत का इतना ही शउर है मुझे ....

Tuesday, December 25, 2012

अब वो प्यार थोड़े ही है ....

खुदगर्जी के बने है रिश्ते जो हम निभा रहे है ...
तुझको मुझसे या मुझको तुझसे अब वो प्यार थोड़े ही है ....

वो दौर और ही था जब समझ जाते थे बिन कहे हाल-ए-दिल ...
न वोह दौर है अब न वो जज्बात रहे अब वो इश्क का खुमार थोड़े ही है ...

गुजर जाते थे पहरों एक दूजे की बाजुओं में यूँ ही बेसुध ....
न वो समां न खाली वक़्त और एक दूजे पे वो इख़्तियार थोड़े ही है ...

कहने को तो एक दुसरे के हो गए हम सारे फासले मिटा के ...
पहले की सी शोखी बेबाकी भरे शिकवों का गुबार अब थोड़े ही है ....

Wednesday, December 19, 2012

मजबूर दिल के हाथों हैं

मजबूर दिल के हाथों हैं
जो जान के भी अनजान बनते है ...
जिसने सिरे से खारिज करदी मेरी मोह्होब्बत ..
हम पल पल में बस उसीका इंतज़ार करते हैं ....

Tuesday, December 18, 2012

देखके तेरी सूरत

देखके तेरी सूरत ही धड़कने बढ़ जाती है ...
.
जज्बात तो अपने कबसे जज्ब किये है मैंने ....

आधा अधुरा मैं ...

मिलके भी तुझसे पूरा न हो सका मैं ...
.
बदकिस्मती थी मेरी या रजा तेरी ....


वक़्त

 जिसे भूलने की शिद्दत से कर रहा हूँ कोशिशें ...
.
वक़्त किसी न किसी बहाने रोज उससे मिला देता है ...

Monday, December 17, 2012

रोज मुलाक़ात नहीं हो पाती ....

न कोई खता हुई है तुमसे ...
और न ही मेरे करीब कोई और हुआ ...
बस वक़्त का तकाजा है की ...
रोज मुलाक़ात नहीं हो पाती ....

दिल को अज़ीज़ है

है सितमगर वो ... ये मालूम है मुझे ...
पर आज भी उनकी हर अदा , दिल को अज़ीज़ है ....

मेरे वजूद की अहमियत

किया क़ुबूल तूने मेरे वजूद की अहमियत को ...
यही काफी है ये एक ज़िन्दगी गुजारने को ....

उसकी बेरुखी

किसी हथियार की जरुरत नहीं मुझे मारने को ...
मुझे तो तबाह उसकी बेरुखी ही कर देगी ....

उसकी ख़ामोशी

चुप रहके भी देखा मैंने उसकी ख़ामोशी के आगे ...
पर कोई सदा न दी उसने , न दिल से न निगाहों से ....

जबान का काम तो जबान ही करती है ...
नहीं समझता मैं आँखों की ये बोलियाँ .....

खेलना दिलों से

खेलना दिलों जैसे फितरत है कुछ लोगों की ...
जब खुद के दिल पे आती है तो इंसानियत का हवाला देते है ....

टूटे दिल के अफ़साने

टूटे दिल के अफ़साने अक्सर मजे लेके सुनते है लोग ...
पर कही दिल जुड़ जाते है तो इनकी नींद हराम हो जाती है ....

दिल तोड़ने का शगल

बेइरादा मिली नज़रें ही चाहत का फ़साना बनी ...
बेइरादा भी उन्हें दिल तोड़ने का शगल है ...

दिल के टूटने का दर्द

दिल के टूटने का दर्द तब और भी शिद्दत से महसूस होता है ....
जब बदनसीबी से दिल तोड़ने वाले से दिल शिद्दत से लगा होता है ....

दोहरा जख्म

दोहरा जख्म देती है जो चोट अपनों से मिलती है ....
एक घाव दिल पे लगता है और एक जिस्म पे ....

तेरी मजबूरी

सच है की मिल न पाना रोज तुमसे कसक है देता  ...
पर ऐसा भी नहीं है की मैं तेरी मजबूरी नहीं समझता ...

दोस्ती

लगाके तोहमत दोस्त पे ...
अपनी बेगुनाही क्या जताना ...
जिसे पता नहीं दोस्ती के मायने ...
उसे क्या दोस्ती याद दिलाना ...

वो ताउम्र ...रहा अजनबी

साथ रहा मेरे वो ताउम्र ... पर अजनबी की तरह ...
न अपने दिल की कोई बात की ... और न ही जानी मेरी आरज़ू ...

Saturday, December 15, 2012

चुप रहके देते है सजा ....

रहते है सामने ... पर अजनबी की तरह ...
कहते है गिला नहीं कोई ... पर चुप रहके देते है सजा ....

खलती है ख़ामोशी

खलती है ख़ामोशी उनकी ...
ये बखूबी जानते है वो ....
फिर भी बात या बे-बात पे ...
ख़ामोशी अख्तियार कर लेते है ....

कैसे कैसे लोग मंच पे ...

जले पे नमक छिड़कने वाले ....
अधजले को पूरा जलने वाले ....है अब मंच पे ...

लूट जिनका पेशा कत्ल छोटी सी बात ...
वतन की आबरू बेच के खाने वाले ... है अब मंच पे ...

देके पहले तो ज़ख्म खुद ही ...
मरहम लगाने के बहाने खून बहाने वाले ... है अब मंच पे ...

तबाही के मंज़रों पे ठहाके लगाने वाले ...
न मरते के बेमौत मारके रोने का ढोंग रचाने वाले ... है अब मंच पे ....

जिसे सोच के ही हमे घिन्न आये ....
वो गुनाह - ए- अज़ीम हस के कर गुजरने वाले ... है अब मंच पे .....

सह सह के गुज़र गई उम्र हमारी ...
अब मौका है मुल्क की आवाम इन्हें उतार के हम चढ़ जाते है मंच पे ....


Thursday, December 6, 2012

मेरा उसूल

शक्शियत बदल के प्यार करना ...
मेरा उसूल नहीं है दोस्त ....
और किसी की खातिर खुद को बदलना ...
मुझे क़ुबूल नहीं है दोस्त ...

वजूद का रुतबा

इस कदर उसके वजूद का रुतबा है मेरे वजूद पे ....
.
की हर शक्श यहाँ तक की खुद मुझमे भी उसे ही पाता हूँ ....

Saturday, December 1, 2012

तेरी हर एक अदा ..

मेरे दिल को भाती है तेरी हर एक अदा ....
क़त्ल करने की भी और इलज़ाम देने की भी ...

Thursday, November 29, 2012

bachpan ke din suhane....

bachpan ki wo mithi yaden...
dosto ke sath ki bate...
kese bhul sakta hai koi...
wo masoom shararten...
.
wo chupke chupke choklate khana...
bhai behen se chhupake par dosto me bantna..
doston ke bin kahin na rah pane ki aadat...
har pal doston ke sath hi rahne ki chahat...
.
sabse pichhe wali bench pe bethna...
teacher se nazar churake wo hasna...
school ke bad ki har baat share karna...
sham ko park me milne ki planing karna...
.
khel khel me ek dusre se zagadna...
fir gusse se game se quit karna...
agle din fir khud hi manane jana...
bina doston ke kaha bhata khana....
.
barsaton me chhat pe dhoom machana
bhig ke fir wo bimar pad jana...
doctor ke pas jane se katrana...
mummy papa se fir dant khake muh foolana..
.

kese mumkin hai itni meethi yade bhul jaye...
kash ki wo bachpan ke din fir lout aaye...
:)

चेहरे पे चेहरा ....


किसके दिल में क्या छुपा है ...
रु-ब-रु होके भी कहाँ जान पाते है ...
कितनी संजीदगी से देखो लोग ...
चेहरे पे चेहरा लगा लेते है ....

Wednesday, November 21, 2012

Salgirah

kabhi hum bhi aazadi se ghuma karte the...
hume dekh kai log rashq kiya karte the...
fir humne bhi khatam karli apni aazadi...
aur kar baithe hum bhi kisi se shadi...
us din se humpe jalne wale muskurate hai...
unki muskaan kya hum samajh nahi pate hai...
khoi jis din humne bachlor ki degree....
bivi us din master ki deegree pane ki salgirah manate hai... :)

trasadi....


kabhi kabhi zindagi me aate hai ese
bhi makam...
ki khatawar hi laga jate hai humpe
ilzam...
bujhane jate hai kisi ke ghar ki aag...
jala bethte hai hum khudko tamam....

Friday, November 9, 2012

हिंदुस्तान में शादी .....

हिंदुस्तान में शादी .....

कहते है सब की शादी है जरुरी, जीवन निर्वहन के लिए
कहते है सब की शादी है जरुरी, वंश वर्धन के लिए
कहते है सब की शादी है जरुरी, सामाजिक जीवन के लिए
कहते है सब की शादी है जरुरी, परंपरा निर्वहन के लिए

पर हिंदुस्तान में शादी, आबादी या बर्बादी?
पहले तो लड़कियों का बिगड़ा अनुपात
फिर उसमे मिलती नहीं जांत पात
रस्मो रिवाजों का लम्बा लेखा जोखा
दहेज़ में चाहिए "पेटी" या "खोखा"
खाने को घर में या न हो, स्टेटस चाहिए
बारातियों का स्वागत ढंग से होना चाहिए

मिल जाये लड़का और लड़की, यही काफी नहीं
पहले देख तो लो लड़की का मंगल तो भरी नहीं
स्वाभाव मिले या न मिले कोई
पर कुंडली में गुण न मिले तो रिश्ता नहीं ...
यहीं भी बात ख़तम हो जाये तो गनीमत है
पर आगे भी है अनगिनत पेंच कई

रस्मों के नाम पे बारातियों की मनमनियाँ
स्वागत के नाम पे फरमायिशों की कहानियां
खुद के घर पे कैसे भी खाएं कोई हर्ज़ नहीं
बारात में जाके नुख्स जरुर बताते
उपहार नहीं दिया जाये इन्हें गर
घराती को कंजूस तक कह जाते

कितना अच्छा हो गर शादी बस खुशियों का मेला हो
लोक दिखावे की जगह दिल मिलाने का मौका हो
स्टेटस मेन्टेन करने की न कोई बंधन  हो
बस सादगी से इस रीत का  निर्वहन हो
ऐसी शादी, यादगार सम्मलेन हो ....



Thursday, November 8, 2012

कदरदान

तुम बने कदरदान तो निखर गया मैं ...
.
वरना मैं पत्थर से ज्यादा कुछ नहीं ....

jurrat nahi tufano ki...

aye jaljale kai niyat se hume hilane ki...
kiske bas ki baat hai hume digane ki.....
bah jate hai hum hawa ke madhur jhonke se bhi....
berukhi se girade itni jurrat nahi tufano ki...

लुटा हुआ हूँ

लुटा  हुआ हूँ तुझसे या मैंने तुझे लूटा है ....
.
लोगो को इसमें हमसे ज्यादा दिलचस्पी है ....

सितम का एहसास

उसके आखिरी इलज़ाम तक खामोश रहा मैं ...
.
इस उम्मीद में की उसे अपने सितम का एहसास हो जाये ....

Monday, November 5, 2012

उल्फत की हर बात

उल्फत की हर बात निराली होती है ए दोस्त ....
.
कभी बिना बात मुस्कुराये, हर पल बस उनके की ख़यालात ....

इश्क की तहरीरें

गुजर गयी ज़िन्दगी ..
इश्क की तहरीरें लिखते ...
सहर - ओ - शाम का हिसाब  ..
अब किसे है पता ...

निशब्द

आते है वो सामने तो धड़कने थम जाती है ....
.
जुबान की क्या मजाल जो कुछ बोल पाए ....


नहा लेता हूँ अश्कों से

नहा लेता हूँ अश्कों से जब तेरी याद आती है ...
.
बस दामन का भीग जाना अब गुजरे ज़माने की बात है ...

मेरी जज्ब की इन्तेहाँ ....

चलते मेरी ख़ामोशी के ...
उसके सितम बढ़ते गए ...
शायद ले रहा है वो ...
मेरी जज्ब की इन्तेहाँ ....

Thursday, November 1, 2012

कुर्बत -ए - इश्क

कुर्बत -ए - इश्क है मुझसे ...
कोई पूछे तो बता देना ...
यूँ ज़माने डर  से ...
आशिक को तडपना अच्छा नहीं ...

मेरी ख़ामोशी

बता भी देता हूँ तो समझ नहीं पाते लोग ...
.
.
तूने वो बात बस मेरी ख़ामोशी से जान ली ....


मेरी यादें

गर मुमकिन है भुलाना मुझे ...
तो भुला के दिखा ...
मेरी यादें किसी मौके की मोहताज नहीं ....

हसरतें

मोह्होब्बत हो गई ज़िन्दगी से ....
तुझसे मिलने के बाद ...
साथ तेरे  की जीने की ....
हसरतें जो पल गई दिल में ....

Wednesday, October 31, 2012

क्या बदला ...

न लोग बदले है और न ही कोई मंज़र ...
.
मैं आज भी तबाह हूँ कल ही की तरह .....


उसूल

भूल जाना ही दफ़नाने का उसूल है ...
.
गर मैंने भी यही किया तो खता कैसे ....

है इश्क गर जेहमत ...

है इश्क गर जेहमत ...
तो बेशक न उठा ....
इश्क करना ही पड़ेगा ...
ये किसी हकीम ने नहीं कहा ....

दिलरुबा

डूब के इश्क में ...
हर रंज को भुलायें  हूँ ...
जो देखती भी नहीं पलट के ...
उसे दिलरुबा बनाये हूँ ....

इलज़ाम

लेते है तेरा नाम,
निहायत ही सलीके से ...
फिर भी देख ले तू ही ..
तेरी बदनामी का इलज़ाम है मुझपे ...

मेरा वजूद

साथ साथ चलता रहा , साये की तरह ...
.
अँधेरे आये और मेरा वजूद छीन गया ....

नसीहत

इश्क न करना ...
सबने ये नसीहत दी थी ...
पर मैंने जूनून में ...
किसी की कहाँ सुनी थी ....

महफ़िल

आये थे महफ़िल में शायर बड़े बड़े ...
.
मैंने हल-ए-दिल कहा, लोग वाह वाह करने लगे ...

अपना बनाने के नाम पे ...

एक  दिल के कितने फ़साने ...
.
सबने खेला इससे अपना बनाने के नाम पे ...

Sunday, October 28, 2012

उनके चले जाने के साथ ही ....

किसी का बनने की हसरत ...
किसी को अपना बनाने की आरज़ू ....
सब जज्बात धुल गए ....
उनके चले जाने के साथ ही ....

बयां इश्क

बयां करते करते इश्क अपना ....
हम हर राज बयां कर बैठे ...
और वो हर राज को मेरे ...
अपनी जागीर बना बैठे ....

चाहत उल्फत कि

उल्फत में न जाने कितनी जानें जाती है ...
.
फिर भी चाहत इसकी कम नहीं हो पाती है ...

Saturday, October 27, 2012

अश्कों पे भी सियासत

ज़ालिम है दुनिया, वफ़ा की उम्मीद से बचिए ....
.
तेरे अश्कों पे भी सियासत करने वालों की कमी नहीं ...

हमसफ़र नहीं ...

चलता रहा ता-उम्र साथ ...
रास्ता ही कहा, हमसफ़र नहीं ...
मेरे दावे को उनसे पुख्ता कर दिया ...
वक़्त पड़ने पे दूसरा हबीब चुनकर ....

तोड़ बैठता हु दिल ..

तेरे हर शिकवे का बस यही जवाब दूंगा ...
.
मैं जोड़ने जाता हू, और हर बार तोड़ बैठता हु दिल ....

क्या क्या लुटाएं बैठा हूँ मैं प्यार में ....

क्या क्या लुटाएं बैठा हूँ मैं प्यार में ....
.
हिसाब रखने लगा तो आशिकी छोडनी पड़ जाये ....

तासीर ख्वाब की....

उसने कहा - सुबह के उजालों में, दिल ढुंढता है ताबीरें ....
                   दिल को कौन समझाए, ख्वाब ख्वाब ही होते है ...

मैंने कहा - तासीर ही ख्वाब की ऐसी थी ....
                 ताबीरें ढुंढना  लाज़मी लगा .....

मीलों के फासले

पास होना ही किसी को हासिल करने का पैमाना नहीं होता ....
.
अक्सर लोग साथ साथ रहके भी मीलों के फासले बनाये रखते है ....

Friday, October 26, 2012

तफ्तीश किये बिना ...

इलज़ाम दर इलज़ाम  ...
फकत यही काम रह गया उनका ...
मैं कितना लुटा बैठा हूँ ...
ये तफ्तीश किये बिना ....

नज़र मिला के बात भी नहीं करता ....

जाने कैसे सबको खबर हो गई मेरे प्यार के बाबत ...
.
मैं तो आजकल किसी से नज़र मिला के बात भी नहीं करता ....

ए बेखबर ...

उसने कहा - कहाँ ढूंढते हो इश्क को ए बेखबर ...
                   ये खुद ही ढूंढ लेता है जिसे बर्बाद करना हो ...

मैंने कहा - कबसे बर्बाद होने को मैं बेताब बैठा हूँ ....
                 जाने इस इश्क की मुझपे नजर क्यों नहीं जाती ....

मेरी खता....

खता मेरी ही है, की हद से ज्यादा उम्मीदें लगा बैठा ....
उसने तो इस जानिब कभी कोई वादा नहीं किया ....

Thursday, October 25, 2012

उन्ही की जुस्तजू

चैन-ओ-सुकून सब नाम कर दिया उनके ...
.
अब तो बस ज़िन्दगी उन्ही की जुस्तजू में कट रही है ....

उन्वान ए गुफ्तगू....

उसने कहा - चलो रखते है 'वफ़ा', उन्वान ए  गुफ्त्फू ....
                    फिर देखते है महफ़िल में रुकता कौन है ...

मैंने कहा - रखलो उन्वान ए  गुफ्तगू वफ़ा या उन्स जो चाहे ....
                 बस किसी भी बहाने तेरा दीदार हो, काफी है ....

उसी से मुहब्बत

जिसे बुरा कहके साथ चलने से बचता रहा ...
.
मुक्क़द्दर ने उसी से मुहब्बत करवा दी ....

मेरा चैन-ओ-सुकून

हैं इजाजत तुझे मेरा चैन-ओ-सुकून लेने की ....
कहा ही था मैंने की तुम मेरी जान लेने की जुगत में लग गए ....

निभाने के वक़्त निभा न सके ...

कशमकश है की किसे बेवफा कहूँ ...
उसे ये अपने मुक़द्दर को ...
मैं जनता हूँ दोनों ने चाहा था टूटकर ...
बस निभाने के वक़्त निभा न सके ...

Tuesday, October 23, 2012

लत नहीं रखता ....

जो इस मुगालते में है ...
की मैं उनके बगैर जी नहीं सकता ....
जरा संभल के सितम कीजियेगा ...
मैं किसी चीज की लत नहीं रखता ....

Bhookhe nange bachhe....

wo jo hai muqaddar ke mare...
aise bachhe hai kai sare...
sir pe chhat nahi jinke...
chaddar hai aasman aur sitare...
.
jante bhi nahi ki....
kya hoga unke sath...
khane ko niwala bhi...
lagega ya nahi hath...
.
fate cheethdo se hi...
apna badan dhak ke...
jo mila pehen liya...
bina kiye koi nakhre...
.
pairo me pade ho chhale...
ya chubh jaye koi sheesha...
nahi dava lagane ko...
apna jakhm bhar pane ko...
.
mandiro me jane kitne..
gupt daan hum karte...
par esa bhookha aa jaye...
to naak bhou sikod ke nikalte...
.
chalo fasle ye mitaye jaye....
aise kisi ko gale lagaya jaye...
shayad khush ho jaye khuda bhi...
chalo kuchh poonya kamaya jaye...

Friday, October 19, 2012

इंसान दर इंसान

किसी को दर्द देती है तो किसी को देती है ख़ुशी ....
ये मोह्होब्बत भी इंसान दर इंसान रंग बदलती है ...

Thursday, October 18, 2012

ज़िन्दगी ...

किस बिनाह पे तुझसे शिकवा करू ए ज़िन्दगी ....
मैं लाया ही क्या था जो गवां दिया मेने ....

हुनर है तेरा ...

लोग कहते है ये मेरी खता है ...
में कहता हूँ हुनर है तेरा ...
की देखता हूँ तुझे जब भी ...
काबू नहीं रहता दिल पे मेरा ....

किसकी खता

तेरी यादों से आबाद रहती है
मेरे दिल की महफ़िल हर लम्हा ....
जिसे में तनहा लगता हूँ ....
ये उसकी खता है .....

Tuesday, October 16, 2012

इनायत हो जैसे ....

एक तलब थी बस तेरी मोह्होब्बत की, पुरे हक से ....
तूने की तो सही, पर ऐसे की इनायत हो जैसे ....

जात के नाम पे बंटवारा ....

है मुल्क  फिक्र मुझे ....
मेरी जात से ज्यादा ...
की नहीं है मुझे गवारा ....
मेरी जात के नाम पे बंटवारा ....

Sunday, October 14, 2012

हर लम्हा उनके नाम

हमने तो यूँ ही अपना हर लम्हा उनके नाम कर दिया ...
क्या खबर थी, वो भी किसी की खातिर ये ही किये बेठे है ....

ज़िन्दगी की हकीक़त ....

ज़िन्दगी की हकीक़त ....
मैंने बस बयां कर दी ....
जिसको शायरी लगी ....
उसने वाह वाह करदी ....

राहों की फिसलन ....

आगाज़ तो कर दिया है मेने ....
अंजाम भी कर ही देंगे ....
देखते है राहों की फिसलन ....
कितना गिरा पाती है मुझे ....

उसकी खुशी के लिए जिए

उसकी खुशी के लिए जिए, और जान भी गवां दी ....
पर उसके फसानो में भी, मेरा कहीं जिक्र नहीं ....

Saturday, October 13, 2012

mere khwab...


aye khuda kya jata hai tera...
gar mera har khwab pura karde...
ispe khuda bola ki aye bande.....
tere khwab hi kuchh ese hai...

तुझसे मिला, तेरे दिल को घर बना लिया ....

तुझसे मिला, तेरे दिल को घर बना लिया ....
पत्थर के मकानों में तो लोग रहा करते है ....

Tuesday, October 9, 2012

विधायक ....


जिसे समझा नायक, सब निकले खलनायक ....
लायक बेकार फिरे , काम पे लगे नालायक ....
राजनीती के रुपये का, हुआ केसा अवमूल्यन ....
चोर, लूटेरे खुनी सब, बन बैठे  विधायक .....

satta ka lalach..

satta ka lalach..Kya kya khel khilaye...Kal tak beta jise kahe...Wo hi dushman ban jaye....Neta kare wo kanoon..Janta kare to kanoon bhang...Dekhte jao dekhte jao...Siyasat ke hai kitne rang....Khud khane bethe to 8 hazar ki thali...Hum 32 rupaye me pura pariwar, bajao taali...Dekh ke siyasi halat khoulta hai khoon...Par humne hi sir pe bithaye hai langoor..

Wednesday, October 3, 2012

कैसे किया जाता है इश्क ..

उनसे पूछो कैसे किया जाता है इश्क ...
जिसने कभी ये किया हो ...
हमे तो हर बार ये ...
खुद बखुद  ही हो जाता है .... :)

Tuesday, October 2, 2012

lalsa....

katra katra karke maine
bharli saari tijoriya...
waqt unhi ko de na paya...
jinke khatir ki ye choriya...
.
kabhi suni na maine...
bitiya ki khilkhilahat...
kabhi suni na mene...
bivi ki shiqayat..
.
bas andhadhundh...
doudta raha, karta raha lalsa...
ab tana beth ke...
khud ko kese du dilasa...

Sunday, September 30, 2012

वो संगदिल है ...

वो संगदिल है ...
कैसे मानले ....
गर होते तो ...
हम बिखर न जाते ..
उनसे टकराकर ...?

Saturday, September 29, 2012

कशमकश

शब्दों की बाजीगरी, हमे नहीं आता ....
बेबाक बयां, दुनिया को रास नही आता ...
खामोश रहना, दिल को नहीं गवारा ....
करू तो करू क्या, ए दिल तू ही बता ...


Friday, September 28, 2012

मेरी जान ..

देखते है उनकी राह ...
उनके जाने से, उनके लौट के आने तक ...
जाने क्या कशिश है उनमे ....
जाते है तो ले जाते है, आते वक़्त ले आते है मेरी जान ...

खताए ....

किसको खतावार कहें ...
किसको सजा दें ...
सब गलतियों के पुतले है ....
आखिर सब इंसान ही है ....


नसीहतें देना उन्हें खूब आता है ....

सुर्ख़ियों में रहना उन्हें खूब आता है ....
मजमे लगाना उन्हें खूब आता है ....
खुद पे लागु करे न करे .....
नसीहतें देना उन्हें खूब आता है ....

Wednesday, September 26, 2012

नकाब

वो एक शख्स , मेरा अक्स सा है ....
मैं मुरीद उसका, वो मेरा रहनुमा ...
एसा ख्याल था मेरा, उसके बारे में ...
जब तक किसी ने उसका, नकाब न नोचा ....

Monday, September 24, 2012

नयी सोच

तलब है जहाँ भर को समेत लूं खुद में ....
पर जरा भी कीमत अता करने में गुरेज है ...
रफ्ता रफ्ता बंद कर लिए है सब सूराख जेहन के ....
कोई जगह नहीं इसमें नयी सोच आने की .....

Friday, September 21, 2012

उनकी रोज देर से आने की आदत

इत्तेफकान हुई मुलाक़ात फ़साना बन गई ....
उनकी जुस्तजू मोह्होब्बत सिखा गई ...
किसी का इन्तजार करना यूँ राहों में,हमारी फितरत न थी ...
उनकी रोज देर से आने की आदत, वो भी सिखा गई ....

मुहब्बत की तो समझे

मुहब्बत की तो समझे
बेपनाह दर्द भी है इसमें ....
वरना इस अल्फाज में ही ...
सारी कायनात की खुशियाँ थी .....

मेरा जूनून

मेरे ख्वाब भले ही ....
अब तक हकीक़त में न बन पाए ....
पर मुझे फक्र है मेरी राह के रोड़े ...
मेरा जूनून डिगा न पाए ....

उनके नूर से ही नूर मिला ..


उनके आने के इंतज़ार में हमनें;
सारे रास्ते दिएँ से जलाकर रोशन कर दिए!
उन्होंने सोचा कि मिलने का वादा तो रात का था;
वो सुबह समझ कर वापस चल दिए

उस रात चिराग भी पुरे जोश में थे ...
ऐसे जले की रात को भी दिन का मंजर बना दिया ...
जब गिला किया चिरागों से मेने ...
बोले दोस्त , हमे तो उनके नूर से ही नूर मिला ....

तेरी बेशकीमती याद ...

करवटे बदल के गुजर जाती है रात ...
नींद आये तो हो ख्वाबों में मुलाक़ात ....
मेरी ज़िन्दगी की कुछ कीमत नहीं बेशक ...
मेरे जीने का सबब है तेरी बेशकीमती याद ....

एक जख्म

परवाह न की एक जख्म कि...
तो आज वो नासूर बन गया ...
उनकी बेरुखी की नज़र अंदाज ...
वो मुझसे बहूत दूर हो गया ....

नजर के सामने ..

जब तक रहा नजर के सामने ...
नज़र अंदाज करते रहे ...
आज रोते है जार जार ...
लिपट के तस्वीर से मेरी ....
जब हम उनकी दुनिया छोड़ आये ....

किसी पागल कवि की कविता हो तुम ...

किसी पागल कवि की कविता हो तुम ...
खुद को भूल जाऊं वो नशा हो तुम ...
होश आये न कभी, ये ही बेहतर होगा ...
सपना ही सही मेरा अपना हो तुम ....

कायदे ....

हुस्न वालें क़त्ल भी करदे ...
सजा के हक़दार नहीं ....
मेने जान भी गवां दी इश्क में ...
मेरी रूह को भी लोगो ने बक्शा नहीं ...


अपनी अपनी फितरत ....

समझ ही पाते गर ख़ामोशी वो ...
तो दर्द का सबब ही न होता ....
वो अपनी फितरत से मजबूर है ...
और हम अपनी से ....

Thursday, September 20, 2012

सिसकता था दिल....

 मैंने दिखाए नहीं अश्क अपने ...
और उसने देखे भी नहीं ....
वो और दौर था यारों ...
जब सिसकता था दिल भी
तो वो जान जाते थे ...

सबब -ए-अदा ...

यूँ देख के भी नजर फिरा लेना ....
और कहना की नज़र अंदाज नहीं किया ...
मान भी लूं तेरी दलील गर ...
समझ नहीं पाया हु सबब -ए-अदा ...

Tuesday, September 18, 2012

बंटवारा नहीं चाहिए ....

किसी ने कहा दिल्ली बाँट दो ....
किसी ने कहा उ . पी . बाँट दो ....
कोई बोला अ . पी . बाँट दो ...
तो किसी ने कहा कश्मीर बाँट दो ....

मराठी नेता बोला ....
महारास्त्र मेरा है ...
में महाराष्ट्र से ...
सबको भगा दूंगा ....

बिहारी नेता बोला ....
बिहार मेरा है ....
मैं मेरे इलाके में ...
बाकि सबको तकलीफ में ला दूंगा ....

मैं जो अब तक खामोश था ...
सब नेताओं से कहा ...
हिन्दुस्तान मेरा है सुनलो ...
मेरी हट गई तो तुम सबकी वहाट लगा दूंगा ....


मजमा लगा है

मजमा लगा है तमाशबीनो का .....
मंजर है मेरे इश्क की रुसवाई का ....
वो भी पत्थर लेके खड़े है ....
जिनपे इल्जाम है बेवफाई का .....

Thursday, September 13, 2012

मंजिल

आवारा क़दमों की कैसी मंजिल ....
चले जाते है जहाँ राहें ले जाती है ....
थक के जिस जगह शाम कर ली ....
वो ही उस दिन की मंजिल बन जाती है ...

Sunday, September 9, 2012

मेरे ही गुलशन के कुछ फूल थे ...

लूट लेते है अक्सर वो ही .....
जिन्हें दिल अपना कहते नहीं थकता ....
जख्म दिए है जिसने मुझे ये ...
मेरे ही गुलशन के कुछ फूल थे ....

Thursday, September 6, 2012

गुनाह-ए -अज़ीम ...

एक मुख्त्सर सी मुलाक़ात
इश्क का बहाना बन गई ....
ये गुनाह-ए -अज़ीम ...
सोच समझ के नहीं किया मेने ...

गम न होगा तो

गम न होगा तो
ख़ुशी की कदर केसे करेंगे ....
खब्ती है वो लोग ...
जो हर पल खुश रहने की दुआ करते है ...

मेरे जीतेजी न कहा।।

जब तक पास था मैं ...
उन्हें न वक़्त था मेरे लिए ....
अब दूर  गया हु तो ...
मेरी  से लिपट  रोते है ...

ज़िन्दगी भर तरसता रहा ...
जो अलफ़ाज़ सुनने को ...
वो कह रहे है मुझसे ...
जब तस्वीर बनके दीवार पे लटक गया हूँ ....


Wednesday, September 5, 2012

वफ़ा की शर्त

प्यार शर्तों पे हो ...
ये न गवारा था मुझे ...
और उसने हर वफ़ा की ...
कोई न कोई शर्त रखी थी ....

Netaji.....


Jo log aksar

wada karke bhool jaya karte hai

jane kese wo

aaine me najar mila pate hai...

bhoutiki yug me

har suvidha to pa lete hai

jane kese rula ke logo ko

chain ki neend so pate hai....

rajniti ke name pe

karodon ka dil dukhate hai...

mout to unhe bhi aati hai...

kya zameer se najar mila pate hai...???

Monday, September 3, 2012

baba ka thhappad...krodh ya prasad?

ye duniya kya hai...
Nashwar maya hai...
Tu kyu dukhi hai...
Tu kya sath laya hai....
.
. Kam, lobh, mad..
Moh, ahem, krodh tyago...
Ye kaya nirmohi hai...
Iske pichhe mat bhago...
.
. Ishwar se balwan na koi...
Usse bada mahan na koi...
Jo khudko usse balwan samjhe....
Usse bada moorakh na koi...
.
. Aaj tak sab babaon ne...
Yehi hume sikhaya hai...
Mantro ka chamatkar batate batate...
Ek baba ne thappad ka prasad aaj khilaya hai....

ख़ामोशी ....

 कितने ही राज लिए होती है ख़ामोशी ....
इकरार-ए -जुर्म का निशान भी होती है ख़ामोशी .....
दिल तोड़ देती है ये ख़ामोशी
हर जगह अछि नहीं होती ख़ामोशी .....

Thursday, August 30, 2012

दिल की बात

प्यार का इज़हार बयां हो  तो अच्छा है ....
अश्क, पलकों से धुलक जाएँ तो अच्छा है ...
कभी कभी अनकही दास्ताँ नासूर बन जाती है ...
दिल की बात लबों पे आ ही जाए तो अच्छा है ....

Tuesday, August 28, 2012

Krodh...

'krodh'
bahut bura hai
gar mati kha jaye
bhala bhi hai
jab hosh na khoye
rogo ka ghar hai 
gar is par jor nahi
jine ka josh bhi hai
gar ye rog nahi
tabah kar deta hai
gar nak pe betha ho
zindagi bana bhi deta hai 
gar samaj hit me etha ho..
Krodh na karo
me esa nahi kahunga
krodh karo
par iske adhin na ho ye kahunga... :)

Sauch....

"Sauch"..
har jehen ki alag
har dil ki alag
is alag me bhi
kuchh ki sartahk
kuchh ki nirarthak 
ye humari sauch hai
par sochne wale ke liye
wahi sahi hai
jo uski khudki sauch hai
is alag alag sauch se
kabhi matbhed hote
aur kabhi jan-adhar
bas sochna ye hai
apne vivek se 
ki kya sahi hai
kya galat 
bas ye gyan ho jaye to 
sabki sauch mil jaye
aur shanti ho jaye :)

Monday, August 20, 2012

sharmsar hoti manavta....


kabhi dharm ke name pe...
Kabhi jaat ke name pe...
Kaiyo ne mujhko loot liya...
Mene foota nasib manke...
Har bar hi apna sir pit liya....

Kabhi liya pita ka saya... 
Kabhi maa ko chhin liya...
Kabhi ujad di god meri...
Kabhi suhag ko mere loot liya....

kabhi bachpan chhin liya....
Aur kabhi chat li jawani...
Jaroorat thi sahare hi...
Tab jawan beta chhin liya...

Nirih bhav se dekhta me...
Sabse sath mera chhoot gaya...
Sab kuchh saha yaha mene.. 
Aur jate jate yahi kaha mene...

Nirdayi hatho katl hoti....
Aur sharmsar hoti manavta...

Sunday, August 19, 2012

Siksha ke fayde...

din bhar yu hi
yaha se waha
bhatakte apne
padosi ke ladke
saraswati chandran se
ek din mene bola kyu vyarth samay
gawate ho
kyu na siksha me man
lagate ho
ese tum kya paoge
ek din pachtaoge sunke meri bat
saraswati muskaya
bola ki uncle
aapne itna padke
aaj tak kya paya
itna padh ke bhi kitna kama lete ho
kama bhi liya to
kitna bacha lete ho
hum bada hoke
desh ka neta banuga
padhu ya na padhu desh pe raaj karunga
aap apne bituwa
ko jam ke padhaiyega
padh ke bhi naukari
na mile to
mere pas le aayiega suniye uncle bat pate ki
har profession ki digree hoti hai
par netagiri karne ki
savindhan ne na koi course mukarar k haii...

खुदगर्जी के रिश्ते

न उन्हें मोह्होबत्त है हमसे ....
और न ही हमे है उनसे इश्क .....
बस खुदगर्जी के रिश्ते है ....
दोनों निभाए जा रहे है .....

Friday, August 10, 2012

एक आरज़ू ...

देख के मुझे तेरे साथ ...
कहीं ज़माना मुझे बदनाम न करदें ...
उसका हर बार यही बहाना ....
और हमारी बस यही एक आरज़ू ...

तेरे साथ गुजरे वक़्त

न जन्नत की तलब है ....
न किसी सल्तनत की ....
हमे बस याद है ...
तेरे साथ गुजरे वक़्त की ...

तेरे इश्क में

इन नूरानी आँखों में ....
कौन खो न जाए ....
इन दिलकश अदाओं का ....
कायल कौन हो न जाये ....
खब्ती है वो
जो हस्ते है हमपे ....
तेरे इश्क में दीवाना
कौन हो न जाये ...

Go VEGITARIAN....

kal raah me mili ek murgi...
Badi udaas aur badi dukhi...
Mene pucha kyu bethe ese....
Sundar roop bigaad ke ese...

Dekhke mujhe wo gusse se boli...
O adharmi o kasaai...
Meri ye halat tune banai... 

Achraj se mene puchha
kya kahti ho...
Meri wajah se kese...
Tune apni dasha banai,,,, 

subak ke wo murgi boli...
Tu bhi to unhi me se hi hai...
jinki chatori jibh ke chalte...
Mere jawan bete ne kal jaan gawai.... 

Sunke uski ye baat...
Sach me aankhe nam ho gai...
Kya kahe ab un logo ko...
Jinki mati bhrasht ho gai... 

Jivo ke pran lene walo...
O rasna ke matwalo...
Dharam adharm manne walo...
Apne adharmo ka hisab lagalo...

Thursday, August 9, 2012

हर चीज महंगी

हर चीज महंगी
नाचीज भी महंगी ...
नींद है महंगी ...
तसव्वुर भी महंगी ....

हवा भी महंगी ....
सांसे भी महंगी ...
पानी भी महंगा
बिजली  भी महंगी

अनाज भी महंगा ...
सब्जी भी महंगी ...
तेल भी महंगा....
सवारी भी महंगी ...

बस सस्ती रही ...
गरीब की जान .....
हसरते निकलती नहीं ...
निकल जाते प्राण ....

Wednesday, August 1, 2012

वादा है की .....

कर ऐतबार मेरा ....
मैं ये नहीं कहता ...
पर वादा है की .....
अपनी मोहोब्बत्त...
को रुसवा न करूँगा .....

gair the bas wo hal e dil jan paye.....

aankhon ko parde ki ot me rakh,
chand ashq jarur dhulkae the...
Mene apni hansi ke pichhe...
Sach hai dard chhupaye the... 

Bas ki uski mahfil na ho ruswa...
Hum bepanah dard me bhi muskuraye the...
Jinhe apna kaha wo rahe bekhabar....
Aur jo gair the bas wo hal e dil jan paye the...

Tuesday, July 31, 2012

me ashq hu....

     Raha me jab tak aankho me...
     tune meri kadar na jaani...
     jo dhulka unke gaalo pe...
     to bhi samjha paani...

     jab sukh gaya gir ke maati me..
     wo jwala bana hu uski chhati me...
     bhasm kardi teri sari shan-o-shoukat...
     ab bata kab jani tune meri kimat....

न वजूद है मेरा तेरे बिना

न वजूद है मेरा तेरे बिना  ...
न तेरी हस्ती है मेरे बिना ....
फिर क्यों फिजूल की अदावत में ....
दुश्वार करे अपना जीना ....

मेरे हुज़ूर

क्या क्या जलवे में गिनू।...
किस अदा पे न जान दूँ ...
यूँ हि नहीं वो हर दिल अज़ीज़ ....
दुनिया कायल है मेरे हुज़ूर की .....

तेरी फुरकत

किस तरह काटें है
हमने पल तेरी फुरकत में।...
कभी दीदार की आरज़ू
तो कभी गु-फ-त्गु  की हसरत में .....

mere huzoor...

kya kya jalwe main ginu,
kis ada pe na jaan du,
yu hi nahi wo har dil aziz,
aur yu hi nahi kayal, duniya mere huzoor ki

है कितना इश्क तुझसे ....

है कितना इश्क तुझसे ....
जानना है गर ....
आ मुझमे समाजा  .....
बस मेरी ही तरह ....

अनजान

एक शक्श है ...
दिल में बसा ....
पर हमसे ....
कतई  अनजान ....

जज्बात .....

ख़ुलूस
अदावत ...
बस दो ...
जज्बात .....

मै लहर हूँ ...

मै लहर हूँ ....समंदर की ....
अदब से पेश आओगे तो नहला दूंगी।...
अकड़ दिखाओगे तो बहा दूंगी ...

दो नैन

दो नैन
चार हुए ....
और दो दिल ...
हुए एक ....

mahina sawan ka

mahina sawan ka
daal daal pe jhule
khilkhilati kishoriyan
mahilaye aur bachiyan

gate geet malhaar
rimjhim ki fuhar 
kavadiyo ka dal
har har mahadev ki pukar

jagah jagah kirtan
khushiyo se aalingan
khile khile kisaan
ati prassan bhagwan 

bhare sab tal aur nadiyan
chahun aur bikhri khushiyan
bas itni hi hai arji
insaano se mit jaye khudgarji

रश्क कर रही कायनात ..

देखके तेरा नाम...
मेरे नाम के साथ।..
रश्क कर रही कायनात ....

मेरे हुज़ूर की खासियत

दिलकश अंदाज
दिल लेने का फन
बस यही खासियत
है मेरे हुज़ूर की ....

इश्क

है इश्क
गर लुफ्त
तो करके देखलो .....

Saturday, July 28, 2012

Kalam....

kaha sach usne,
uski awaz daba di gai,
kaha zoot usne,
wo aawaz gunja di gai,

dahshat ke saye me,
sach ko rakha hai sabne, 
zoot ko apne sir pe,
bitha ke rakha hai sabne, 

bas kalam pe aas hai,
ke ye na zoot kahegi,
andhero ko cheer ke,
ujli kiran niklegi,

raaz fash karke,
adharmiyo se niptegi, 
jo hoga sach ka sipahi,
bas hath uske sajegi.