Thursday, October 25, 2012

निभाने के वक़्त निभा न सके ...

कशमकश है की किसे बेवफा कहूँ ...
उसे ये अपने मुक़द्दर को ...
मैं जनता हूँ दोनों ने चाहा था टूटकर ...
बस निभाने के वक़्त निभा न सके ...

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