Saturday, October 27, 2012

तासीर ख्वाब की....

उसने कहा - सुबह के उजालों में, दिल ढुंढता है ताबीरें ....
                   दिल को कौन समझाए, ख्वाब ख्वाब ही होते है ...

मैंने कहा - तासीर ही ख्वाब की ऐसी थी ....
                 ताबीरें ढुंढना  लाज़मी लगा .....

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