उसने कहा - सुबह के उजालों में, दिल ढुंढता है ताबीरें ....
दिल को कौन समझाए, ख्वाब ख्वाब ही होते है ...
मैंने कहा - तासीर ही ख्वाब की ऐसी थी ....
ताबीरें ढुंढना लाज़मी लगा .....
दिल को कौन समझाए, ख्वाब ख्वाब ही होते है ...
मैंने कहा - तासीर ही ख्वाब की ऐसी थी ....
ताबीरें ढुंढना लाज़मी लगा .....
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