होगा तू दानिशमंद बेशक मगर
औरों को ज़ाहिल समझने की खता न कर
तुझपे है रहमत गर उपरवाले की
औरों की बेबसी का मजाक न बनाया कर
दिन भर आग उगलने वाला सूरज भी
रात के आगोश में गम हो जाता है
वक़्त हमेशा एक जैसा नहीं रहता
इसलिए जरा शफाक़त से पेश आया कर