Monday, December 30, 2013

Bye Bye 2013- Welcome 2014 :)

bite sal ki yade ... jehan ki salwato me rahegi...
naye sal me hume... sabke shubh ki aasha rahegi....
jo bhi galat hua gujre saal ke darmiyan...
ummid hai aane wale kal me wo galtiya na hogi...
.
huye jo gile shikwe dost-o-jan-nashino se...
lag ke gale wo sari galfat dur hogi....
aansuo ki barish jo hoti rahi rah rah ke...
ummid hai nav varsh me hardum muskan khili rahegi....
.
kahi akal to kahi badh se ye huye hatahat....
ummid hai isse jan jan se sikh li hogi...
na karenge nash paryavaran ka ab....
ummid hai har kisi ne kasam li hogi....
.
siyasati khelo me pisi bholi janta ko....
bite saal me shayad sabak li hogi.....
ab badlenge tasweer vatan ki ....
har bharatwasi ne shapath li hogi.....

मेरी मोह्होब्बत के फसानो पे न जा। …

मेरी मोह्होब्बत के फसानो पे न जा। …
ये दिल न जुड़ा है जो एक बार टुटा। ।
मुस्कुराता हु क्योकि  महफ़िल में रोने पे बंदिश है …
मुझे मुस्कुराये हुए जाने कितना अरसा हुआ। 

तमाम कोशिशे

मेरी तमाम कोशिशे नाकाम हो जाती है
तुझे जेहन से हटाने कि। ....
हटा भी दू किसी तरह गर दो पल को। …
किसी बहाने तू फिर याद आ जाती है। 

मेरी सिसकि

इतने बेकदर तो न थे मेरे लिए। …
कोई और भा गया दिल को शायद। …
मेरी सांसो कि आहाट भी मौजूदगी बता देती थी। …
अब मेरी सिसकियो कि भी उन्हें खबर नहीं। .... 

न उगलते बन रहा न निगलते।

जाने कैसा दर्द है मेरे दिल में। …

न उगलते बन रहा न निगलते। 

कुछ खामिया

कुछ खामिया तुझमे है। ।
बहुत सी मुझमे भी। ।
एक दूजे पे इलज़ाम से बेहतर। …
क्यों न साथ बैठ दूर किया जाये। … 

मेरी तल्खी

 सब परेशां है मेरी  तल्खी से इन दिनों। .... 

कितनो को है खबर मेरे हल-ए-दिल का  .... 

Thursday, November 14, 2013

bachpan ke din

sahi kaha ki bachpan bhi kya manzar tha...
bole to sabki aankho ka apun hi noor tha...

jo bhi dekhta galo pe pyar jad deta....
aur apun ka pyar pane ko choklate offer karta....

apun ki shararton pe bhi gharwale itrate...
kuchh naya kiya to sabko proudfully batate....

sabke sapne pure karne ka apun hi hope tha...
qki shararat karne me bhi apun hi top tha....

gali me apni umra ke bacho ke sath khelna....
kabhi pit ke aane ka to kabhi unko pit dena...

yaden sari aaj bhi muskan-o-ashq de jati hai....
jab yehi sab mujhe meri beti me dikh jati hai....

Monday, November 11, 2013

मेरे सजदों में कमी क्या थी …

हाँ है रश्क़ उसके नसीब से  जिसे बिना मांगे ही मिल गया तू …

ए इश्क़ इतना तो बता मेरे सजदों में कमी क्या थी …

तेरी मेरी तासीर

 है तेरी मेरी तासीर एक जैसी ए इश्क़। ।

न तेरा और न मेरा एहतराम है किसी को। … 

Saturday, September 14, 2013

तेरी मौजूदगी

मुझे नहीं इल्म रंग-ओ-बू का बेशक। ….

बस सुकून मिलता है तेरी मौजूदगी से। …. 

न अल्फाज़ समझते

कहते है वो खुदको माशूक मेरी भरे ज़माने में। ….

न अल्फाज़ समझते है मेरे न ख़ामोशी ही  ….

उफ़ ये गर्मी। ….

कहीं दंगो की आंच से  …। 
कही बलात्कारियो दुष्काम  से। … 
कही राजनितिक समिकरन से  …. 
कही प्याज की जलन से  …. 
कही महंगाई की मार से  …. 
कही डोलेर और रुपये की तकरार से। … 
देश का वातावरण गरमाया है  …. 
शायद उसीका असर मौसम में भी आया है। … 


Tuesday, September 10, 2013

गुनाह-ए-अज़ीम

 गुनेह्गारों के माथे पे शिकन तक नहीं आती। ।
 गुनाह-ए-अज़ीम भी शान से कर जाते है। ….
मुश्किल हुआ मजलूमों को इन्साफ मिलना। …
बस दर बदर की ठोकरें खा के रह जाते है। …. 

Saturday, August 24, 2013

सुकून रुह को

 सुकून रुह को मिलता है तेरे ख्याल भर से मुझे  …

तू याद आती है तो रुकी ज़िन्दगी खनक जाती है। … 

Monday, August 19, 2013

न खुद का हाल बताते है

वोह आते है और मेरी तहरीरें पढ़ जाते  है   ……

न हमसे हाल पूछते हैं, न खुद का हाल बताते है  …… 

अधुरा मैं तेरे बिना

एक अरसा हो चला तुझसे गु-फ़्त-गु किये  ….

हर लम्हा खुद को अधुरा महसूस किया  ……  

गले नहीं उतर रहा।

है तो तुझे भी खबर मेरी तड़प की। ….
फिर भी तेरा खामोश रहना गले नहीं उतर रहा। ….
कुछ तो बात है जो बता नहीं रहे हमे। …।
ये अचानक तेरा चुप होना गले नहीं उतर रहा। ……

जिद से बंधे है

खड़े हो सामने  …. फिर भी ख़ामोशी है दरमियाँ। …
हम वादे से बंधे है अपने  …. और तुम अपनी जिद से  …। 

मोह्होब्बत्त… के गुल

 क्या क्या गुल खिलाती है मोह्होब्बत्त ,,,,
कैसे कैसे मंज़र दिखाती है मोह्होब्बत्त ,,,,,
दिल टुटा है भी गर अपना इसमें ,,,,,
जाने क्यों उसका नाम आते ही जाग जाती है मोह्होब्बत्त…

Saturday, August 10, 2013

नया दिल कहा से लाऊ

कोई तो बताये की रोज़ एक नया दिल कहा से लाऊ। …

एक खेल सा बना लिया है बेमुर्रब्बत तोड़ने वालो ने तो। ….

दिल-ए-नादाँ

ख़ामोशी से टूट जाता है। ….
अकेले में सिसक लेता है। ….
तनहाइ के नग्मे गा लेता है। ।
खुद ही फिर संभल भी जाता है। …. ये मेरा दिल-ए-नादाँ 

अलविदा.....

खलने लगी है ख़ामोशी तेरी। …
जैसे वीरानी सी छाई है तमाम जहाँ  …।
खफा हो गर तो खता बतादो  …।
वरना हम ये चले कहके अलविदा। । 

Tuesday, August 6, 2013

ज़माने का रंग

 ये तोहमत न दिल को दो की पत्थर के होने लगे है  …
 ये तो बस ज़माने का रंग दिखाते है खुद में। … 

बिसात -ए - मोह्होब्बत

बिसात -ए - मोह्होब्बत की हर बाज़ी हारा मैं  ….

किसी भी तरह दिल तेरा जीतने की फ़िराक में  …. 

Monday, August 5, 2013

कदरदान

मैंने हारा है दिल मोह्होब्बत में कई मर्तबा। … 
इस उम्मीद में की शायद इस बार कदरदान मिल जाए। … 

Saturday, July 13, 2013

ए इश्क ....

ए इश्क ....
तू हासिल नहीं तो बदनसीबी का एहसास है ....

मिल जाये तो भी बदहवासी के हालत है .....

रिश्वत देके प्यार

है खलिश की तू बदल गई है अब ...

पर रिश्वत देके प्यार  पाना मेरी फितरत नहीं ....

मेरे नासमझ होने का गुमान है ....

न गिने मैंने किसने कितने जख्म दिए ....
बस पता है सब मेरे अज़ीज़ है ....
रिश्ते न टूटे इसलिए खामोश हूँ मैं ....
जाने क्यों लोगो को मेरे नासमझ होने का गुमान है ....  

Wednesday, July 3, 2013

गंगा की पीड़ ....

 कहते है सब मैं निर्दयी कैसे हो गई ...
माँ होके भी अपने बच्चो को कैसे निगल गई ...
क्यों इतना क्रोधित हुई की प्रलय ही ले आई ...
कैसे मुझे मासूमो पे जरा भी दया न आई ...

मेरे बेटों कहो जरा क्या लालसा तुमने न बढाई ...
मेरे दामन को सिकोड़ क्या तुमने न बस्तिया बसाई ...
पावन पावन कहके क्या मुझमे गन्दगी न बहाई ...
क्या तुमने मेरी राहों में अडचने न लगाईं ...

निर्मल जल को मेरे क्या तुमने गन्दगी न बहाई ....
हरे भरे आशियाने उजाड़ पत्थरों की बस्तिया न बसाई ...
माँ कहके पुकारा मुझे पर क्या बच्चो की परंपरा निभाई ....
अभी भी वक़्त है संभल जाओ .... वरना होगी पूरी तबाही ....


  

Tuesday, July 2, 2013

- Ganga ki peeda -

kahte ho sab ki main nirdayi kese ho gai..?
maa hoke bhi apne bacho ko kese nigal gai...?
kyu itna krodhit hui ki pralay hi le aayi..?
kaise mujhe masoomo pe jara bhi daya na aayi...?

mere beto suno jara kya tumne apni lalsa na badhai?
mere daman ko sikod ke tumne kya bastiya na basai..?
pawan pawan kahke kya mujhme gandagi na bahai...?
kya tumne meri rahon me adchane na lagai...?
nirmal jal ko mere kya tumne na gandagi failayi..?
hare bhare mere ashiyane me kya patharo ki bastiya na basai...?
maa kahke mujhe pukara par kya maa ki parampara nibhai...?
ab bhi sambhal jao warna samajhlo baki hai abhi puri tabahi...


Monday, June 3, 2013

मोह्होब्बत कोई सौदा नहीं ...

जलता है दिल उनकी बेरुखी से बेहद ..
पर मोह्होब्बत कोई जबरदस्ती का सौदा नहीं ....

दिल की सल्तनत

उन्हें दिल की सल्तनत क्या देदी ...
जैसे चाहे हमे चलाने लगे ....
जब जब तलब लगी हमे उनकी ...
दिल तोड़ के जाने लगे ....

मेरा जिक्र

सुना है आजकल मेरा जिक्र वो ..
खुद से भी नहीं करते ....
इतने भी बुरे नहीं हम ...
जितना वो समझ बेठे हमे ....

लुफ्त न बाकि रहा मोह्होब्बत में तो

कुछ लुफ्त न बाकि रहा मोह्होब्बत में तो ....

चलो अजनबी बनके फिर से एक आगाज़ करते है ....

ख्वाब ही भेजने का ....वादा कर .

तू मिलने नहीं आ सकती ...
कोई बात नहीं ....
कम से कम वादा कर ...
अपने ख्वाब ही भेजने का ....

क्यों अजनबियों सा पेश आता है मुझसे ....

 कुछ मुलाकातें सरे आम नहीं होती ...
मुनासिब है ज़माने से पर्देदारी उनमे ...
कभी वक़्त मिले तो तारुफ़ कर मुझसे ....
तेरा दिल हूँ ...क्यों अजनबियों सा पेश आता है मुझसे ....

Friday, May 31, 2013

वो नज़रंदाज़ करते है ...

नज़र के सामने होके भी जब वो नज़रंदाज़ करते है ....

दिल ही जानता है की उसपे कितने तीर चलते है ....

छोटी सी खता

एक छोटी सी खता भी नासूर बन के सताती है ताउम्र ....

कोई हर्ज़ नहीं माफ़ी मांगने में रिश्ते बचाने की जानिब .....

उसकी बेरुखी

जलता है दिल उसकी बेरुखी से बेहद ....

पर मोह्होब्बत कोई जबरदस्ती का सौदा नहीं ....

इकरार न कर ....

लबों से चाहे तो इकरार न कर ....

तेरी बेरुखी तेरी नाराज़गी बयां कर रही है ....

तेरी आदत

  कुछ इस तरह से तेरी आदत हो गई है मुझे ....

एक लम्हा की जुदाई भी तबियत नासाज़ कर देती है ....

Sunday, May 19, 2013

खलिश

न जताया कर की खलिश है उनके बिना तुझे ....

लोग परेशां को और परेशान किया करते है ....

Saturday, May 18, 2013

मसरूफ

वो करते है दावा वाकिफ होने का मेरी हर साँस से ...



मैं कब वहां से चला आया किसी को पता नहीं ....


Thursday, May 16, 2013

एहसासों में गर्माहट....

मोह्होबतों के दौर आज भी कायम है ....
एहसासों में आज भी गर्माहट है ...
आज भी धड़कने उसी शिद्दत से बढ़ जाती है ...
जब तू शरारत से मेरे पास आती है ....

बेफिक्र अंदाज

देखके उसका वो बेफिक्र अंदाज सोने का ...
  जैसा की मेरे आगोश में हो ...
मेरे दिल से मेरा उसका रहनुमा होने का ....
वहम मिटा गया बाखुदा .....

Wednesday, May 15, 2013

आगाज़

बस एक आगाज़ की जरुरत थी
फासले दरमियाँ के मिटने को ....
ज़िन्दगी गुजार दी दोनों ने ...
एक दूजे की पहल के इंतजार में ....

जर्रा जर्रा सी दूरी

जर्रा जर्रा सी दूरी भी दरार बना गई ...
ख़ामोशी तेरी दिल में खलिश जगा गई ...
कभी तेरी तो कभी मेरी ....
ये मसरूफियत दरमियाँ के फासले बढ़ा गई ....


फासले भी...

  फासले भी कभी कभी इश्क परवान चढ़ा देते है ....

हर पल की नजदीकी में ही इश्क का मज़ा नहीं ,,,,,

Monday, April 29, 2013

शगल है उनका

 शगल है उनका मेरी चर्चा करते रहना ...
ये और बात है ....
जुबान से वो इकरार नहीं करते ....

Thursday, April 25, 2013

कैसा इन्साफ ...

रंजिशें खामख्वाह की दिलों में दरार करती ....
क्यों बातचीत की हर राह बंद करदी ...
क्या जरुरी है की हर बार तू ही सही हो ...
क्या मेरी नज़र कभी सही नहीं हो सकती ...

खामोश हूँ मैं तो क्या हर इलज़ाम दे दोगे ...
क्या ख़ामोशी मेरी बेगुनाही नहीं हो सकती ...
मन की मुझसे अज़ीज़ है कोई तेरा अपना ...
क्या तेरे अपने से कोई खता नहीं हो सकती ....


टुटा दिल ....

 तल्खी सारे ज़माने की ...
एक मुझपे उतार दी ...
दिल किसी ने दुखाया ...
और मुझको सजा दी ...

क्यों सारी  समझाइश
एक पल में बिसार दी ....
क्यों किसी के कहने भर पे ...
मेरी दुनिया उजाड़ दी ....

 दरमियाँ हमारे इतने
 फासले किसने बढ़ा दिए ...
मुझे तड़पता देख
मेरे दुश्मन मुस्कुरा दिए ....


Wednesday, April 24, 2013

पल फुर्सत के ...

सोचा था की कुछ पल फुर्सत के ...
तेरे साथ गुजारेंगे गुफ्तगू में ...
कुछ सुनेगे तुम्हारी कुछ अपनी कहेंगे ...
ज़िन्दगी गुजर गई पर वो पल नहीं आये ....

वाकया

किसको क्या इलज़ाम दूँ मैं ...
अपनों के हाथों  मजबूर हर बार ठहरा ...
लोग बनाते रहे तमाशा सरे राह ....
मुफलिसी के चलते कसूरवार ठहरा ....

क्या गिला करूँ किसी से ... सब मेरे अपने है ...
उनके एहसानों का मैं  कर्जदार ठहरा ....
करने जाऊ तो बहुत कुछ कर जाऊ मैं ...
उनकी खता पे भी डपट न पाउ .. इतना  लाचार ठहरा ....

ख़ामोशी को केसे कमजोरी समझ लेते है लोग ...
समझ आया जब वाकया ये मेरे साथ इसबार ठहरा ...

खलिश

कुछ खलिश सी लगती है ...
जिस दिन तुमसे बात नहीं होती ...
कुछ कमी सी लगती है ...
जिस दिन मुलाक़ात नहीं होती ....

ये दरिंदगी है ये व्यभिचार है ....

   कोई कहता है छोटे कपडे मत पहनाओ ...
कोई कहता है बलात्कारी को भाई बनाओ ...
कोई कहता है एड इसके जिम्मेदार है ...
कोई कहता है लडकिय खुद इसकी जिम्मेदार है ...
पर कोई महानुभाव ये नहीं कहता ....
ये दरिंदगी है ये व्यभिचार है ....

Monday, April 15, 2013

फितरते

ये फितरते है दिल और दिमाग की ....

एक इश्क करता है दूसरा गुरुर ....

दस्तूर ज़माने का ....

    वो सितम करके भी दिलों पे राज़ करते है बदस्तूर ....

हम जितनी मोह्होब्बत करते है उतना ठुकराए जाते है ....


Thursday, April 11, 2013

मेरा चर्चा

न दी  तवज्जो मिनत्तों को , की मैं जी न सकूँगा तेरे बगैर ....

किसी और ने हाथ थाम लिया मेरा तो, हर किसी से मेरा चर्चा करने लगे ....

Saturday, March 23, 2013

School days.....

kuchh esa  wakya humare sath hua tha...

school ke dino ki baat hai ye....
kabhi hum bhi padhne jate the...
bahut maje aate the humko...
sangi sathiyo se mil jate the...

teacher ji kya padha rahe hai...
uski khabar na rahti thi...
kitabo me muh chhupa ke...
bajuwale se thitholi karni thi...

ghar aake bas fenk ke basta...
khelne ko nikal jate the...
bas papa ke ghar aane se pahle...
homework karne beth jate the...

puchhne pe padhai ke haal
sabko badhiya batate the...
jo sawal mummy puchh leti...
"abhi padhaya nahi" batate the...

masti ki bas ye duniya...
badi suhani lagti thi...
exams bhi dene hote hai...
bhul gai ye "mati" thi...

aaye jab exams to...
syllabus dekh ke bura hal hua..
har sawal ajnabi sa tha...
doston jina hua muhal tha...

padhte hue hanuman chalisa...
exam dene jate the...
jo answer sheet pe likh ke aae...
kisi ko nahi batate the...

pass hone ke liye humne...
sabhi devo ko manaya tha...
result aaya to pata chala...
humara huwa safaya tha...

Thursday, March 14, 2013

कोई संगदिल

किसी को शिद्दत से चाहना भी गुनाह बन जाता है ....

जब कोई संगदिल हमारे दिल का अरमान बन जाता है ....

बदकिस्मती मोह्होब्बत की ....

बस्किस्मती मेरी या बदकिस्मती मोह्होब्बत की ....

मुझे न मिलके उसे मिली जिसे उसका शउर नहीं ....

इश्क के बाद ..

सुना था इश्क जीना मुहाल कर देता है ...

बखुदा बहुत खुश रहते है इश्क के बाद .....

कुछ ख्वाब .....

कुछ ख्वाबों के तड़कने से मैं ख्वाब सजाना नहीं छोड़ता ...

कोई एक नाम तो बताओ जिसका हर अरमान पूरा हुआ ....

Monday, March 11, 2013

तेरा ख्वाब ....

तू अपनी पलकें मूँद के तो मुझे देख जरा ....

मैं वोह ख्वाब हूँ जो तेरा होना चाहता हूँ ...


एक हसरत ...

तेरी आंखों में पढ़ी है मैंने एक हसरत ...

मुन्तजिर हूँ उसे अल्फाजों में ढलते देखने का ....

Friday, March 8, 2013

मुझे मगरूर समझते है ....

खामोश रहना जबसे मेरी फितरत हुई है ...
लोग मुझे मगरूर समझते है ....
मैं समझने देता हूँ जो वो समझे ...
बोलता हूँ तो भी कहाँ बेक़सूर समझते है ....

Thursday, March 7, 2013

संगदिली

काश की तू मान मान पाए मेरी बेदाग़ वफ़ा को ...

और समझे की कुछ फैसले संगदिली से भी लेने पड़ते है ....

कुछ फैसले...

गिले है मुझसे तो बेशक ज़िन्दगी से बेदखल करदो अपनी ...

कुछ फैसले अनकहे फसलों से बेहतर होते हैं ....

Monday, March 4, 2013

संगदिल

आज संगदिल कहके तोहमतें लगालो चाहे ...

जब  नहीं था तेरा , इसीमे पनाह मिली थी तुम्हे ...

Saturday, March 2, 2013

मुफ्त हो गया ....

मैं अपना भाव कम करते करते मुफ्त हो गया ....

पर तुझे अभी भी किफ़ायत की गुंजाईश है मुझमे ....


Monday, February 25, 2013

क्या रहा बिकने को ....

बिकता है सब कुछ यहाँ .. पर ...
रिश्ते बिकते है तो दिल टूटता है ...
प्यार बिकता है तो चुभता है ....
भरोसा बिकता है तो खलता है ....
ईमान बिकता है तो खटकता है ...
सच बिकता है तो कचोटता है ...
हर उस बात से ज्यादा दर्द तब होता है
जब ...गद्दारों के हाथों वतन बिकता है ....


अंधी खब्त

जाने कैसे लोग वो कर गुज़र जाते है ...
जो हम सोच के भी सिहर जाते है ....
किसी अंधी खब्त को जेहाद का नाम देके ...
जाने केसे आईने में नज़र मिला पाते है ....

Saturday, February 23, 2013

हार के भी जीते

हर  खेल में जीत ही मंसूबा नहीं होती .....

दिलों के खेल हार के भी जीते जाते है ....

खामोश रहता हु

जो मुझपे है गुजरी
बताऊंगा तो रो पड़ोगे ....
बस इसी डर से ..
मिलके भी खामोश रहता हु तुमसे ...

INSAAN... ??

q jamin se aasman me jaa raha insaan
q apni jaat se hi ghabra raha insaan...
jaanwaron ko kata jana aam tha kal
tak...
aaj chouraho pe kata ja raha insaan...

.
kahte hai bharose pe chalti hai 
duniya...
ese halaton me kispe yakin kare
insaan...
hum pyala hum niwala bhi kab daga
dede..
apne saaye se bhi ghabra ke chalta
insaan...
rishte nate sab bhool wahshi hua...
jane kis andhi doud me doud raha
insaan...
.

paiso ki chaht me kitna gir gaya
insaan...
bech deta watan, dekho bech deta
imaan...
deke takleef kisi ko kese muskura leta
insaan...
na rakhta khouf khuda ka, dekho bant
diya bhagwan...
kis had tak gir gaya, shayd sharma
jaye shaitan...
shaq hota hai ab to kya "insaan" bacha
hai insaan...

Monday, February 18, 2013

आंसुओ की तरह ...

बरसातों का मिजाज़ भी समझ नहीं आता ...

बरस पड़ती है ख़ुशी ओ गम में आंसुओ की तरह ...

इश्क की तारीफ़

कसीदे तो बहुत पढ़ लिए इश्क की तारीफ़ में हमने ...

निभाने चले इश्क तो समझे मुश्किलात इसके ....

उसकी एक नज़र...

हो गई उसकी सारी कायनात ... बस एक नज़र में ...

जाने क्या कशिश है उसकी इस एक नज़र में .....

मगरूर

उसके किसी सितम का जवाब नहीं दिया मैंने ...

वो मगरूर इसे अपनी जीत मान बेठे ....

इत्तेफाक

अजीब इत्तेफाक है तेरी और मेरी हसरतों में ...
.
मुझे भी वही हसरत है जो तुझे है मेरी जानिब ...

इसे बस तू ही तू चाहिए .....

इतना भी नादान नहीं है ये दिल ... की कुछ भी करने से बहल जाये ...

इसे तेरा फितूर है ... इसे बस तू ही तू चाहिए .....

रहनुमा ढुंढते है ....

इक उम्र गुजार दी उनके इंतज़ार में ए दिल ...

चल अब कोई और रहनुमा ढुंढते है तेरा ....

फितरत आशिकों की ....

अजीब सी फितरत है आशिकों की तेरे लिए ए इश्क ....

तोहमत भी लगते है और किये बिना भी नहीं रह पाते ....

Friday, February 15, 2013

dadicate to my first crush...

पहले प्यार की यादें सारी ....
खट्टी मीठी प्यारी प्यारी ..
.
उनसे वो बेमकसद नज़रें मिलना याद है ...
वो पहली नज़र में दिल में  उतरना याद है ...
तन्हाई में उसकी यादों का गुदगुदाना याद है ....
बेठे बेठे अकेले में बेमतलब मुस्कुराना याद है ...
.
रास्ते में उसके टकटकी लगाना याद है ...
उसके दीखते ही भाग के छुप जाना याद है ...
छुप छुप के दिवार की ओट से उन्हें ताड़ना याद है ...
उनकी नज़र पड़ने पे वो सकपकाना याद है ....
.
उनको लुभाने को वो बनना संवारना याद है ....
पढने के बहाने वो छत से उन्हें देखना याद है ....
किसी राह दिख जाये तो घूम के सामने आना याद है ...
कम्बल में घुस के सोने के बहाने सपने सजाना याद है ...
.
उसके छुए कागज़ को भी जेब में सहेजना याद है ...
उसका वो "रेड ड्रेस" में दिखने पे खिल जाना याद है ...
रोज उससे बात करने की हिम्मत जुटाना याद है ...
उसके सामने आने पे वो हकलाना याद है ....

Saturday, February 9, 2013

हर जगह वही दिखती है ..

सराब (वहम) है वो या हकीक़त ... खुदा जाने ...

जिस दिन से देखा है .. हर जगह वही दिखती है ..

जाते जाते ...

जाते है वो जब तो जान तक भी साथ ले जातें है ...

जाने किस बात का ख्याल रखने को कह जाते है ....


बस एक अदा से ....

जाने कैसे उसकी अदाओं से लोग घायल हो जाते है ...

हमे तो क़त्ल ही कर दिया कमबख्त ने बस एक अदा से ....

है इश्क गर गुनाह ..

है इश्क गर गुनाह .. तो हर आशिक को सूली चढ़ा दो ...

जिसने कभी प्यार न किया हो .... पहले उससे मिला दो ....

फितरतें भी बदल डालते है ....

'इश्क' मेरा तखल्लुस हो गया है और 'सितम' तेरा ...

साल बदल गया .... चल फितरतें भी बदल डालते है ....

खिजां

बहार के जाने का दर्द ... खिजां को भी सालता है ...

हरे पत्तों को जो .. पीले पत्तों में तब्दील कर देता है ....

Thursday, January 31, 2013

इंसानियत....

इंसानियत दूसरों में भी ढूंढ़ेगे बेशक ...

पहले खुदमें इंसान की मौजूदगी तो तस्लीम करलें .....

दस्तूर-e-मोह्होब्बत....

अजब से दस्तूर है उनकी मोह्होब्बत का यारों ....

खता कोई भी करे सजा हमे ही मंसूब होती है ....

Tuesday, January 29, 2013

तल्ख़ अल्फाज़...


उसके तीखे तेवरों से ज्यादा उसके तल्ख़ अल्फाज़ चुभे ....
हम मोहोब्बत में आजमाइशों के कैसे कैसे दौर से गुजरे ....


लगादी तोहमत उसने मेरी वफ़ा , मेरे ज़मीर पर ...
उसकी दीवानगी में देखो कितने बेगैरत हो गए ....


देख के भी उसने मुझे  कई दफा अनदेखा किया ....
अपनी गैरत को गिरवी रख, फिर भी रहे राहों में खड़े ....

हमे थी चाह बस सोहबत की उसकी ...
जाने कैसे उसे मेरी आँखों में हवस के डोरे दिखे ....

लुट के जार जार भी , न वफ़ा साबित कर सके ...
जाने किस मिटटी के वो ,जाने किस मिटटी के हम बने ....




Sunday, January 27, 2013

चश्म-ए-तर का बरसना

उसके दीदार भर से छलक जाती है आँखे ख़ुशी से ...

उसका मुझसे यूँ लिपटना , चश्म-ए-तर का बरसना लाज़मी था ...

फासला ए कदम ....

तड़प तेरे मिलने की ...
बेंतेहा हो गई सनम ...
मीलों का लगता है ...
हर फासला ए कदम ....

इश्क जता नहीं पाते ....

ऐसे भी लोग होते है ज़माने में मुझ जैसे ...

इश्क तो करते है पर जता नहीं पाते ....

लूट ले मुझे ....

मेरी दौलत है तेरी मोह्होब्बत ....

जितना जी चाहे लूट ले मुझे ....

तेरा नशा

मयखानों से दोस्ती है मेरी ...
पर मैं पीता नहीं ...
जिसे नशा हो तेरा ए सनम ...
उसे ये 'मय' क्या झूमा पायेगी ....

दुश्वारियां

बड़ी दुश्वारियां है इस इश्क में ...

फिर भी जान के अनजान बनते है लोग ....

यादें

ये यादें कब मेरी मसरूफियत से इत्तेफाक रखती है ...

तभी आती है जब इन्हें आना होता है ....

Saturday, January 12, 2013

aakrosh

har taraf aakrosh ki aag...
fir bhi befikra matwali sarkar...
yakin hai unhe humari fitrat par..
ki bhulne me lagte hume din char...
.
buland housle gunahgaro ke....
ghumte khule sang hathiyaro ke....
milti shah jab netaon ki to...
kaise mukti mile in sharmsaron se....
.
bade bade bhashan dilwalo...
chahe jitne ghotale karwalo...
nasihate inse dilwalo.
sansad me porn dikhwalo..
bematlab ki tippaniya karwalo...
bus jalwalo hadtalen karwalo....
aaye baat qurbani dene ki jab...
ghar me dubak ke inse bithwalo...

तू आई और चल दी ....

एक एक लम्हा तेरी जुदाई का ....
कटता है जैसे एक ज़िन्दगी ...
तुझे जी भर के देख भी नहीं पाता ...
तू आई और चल दी ....

Monday, January 7, 2013

Aagaz Karte hai...

dour hai wo jise 'kalyug' kahte hai....
zute lagate kahkahe, sache gumnam
siskte hai...
ek to pahle hi sab sahme hai...sach bol
nahi pate..
jo bolta bhi hai uspe kuchakron ke
'bill' fat'te hai....
.
'satymev jayte' ab bhi badastoor
sikhaya jata hai..
par aksar sach ke sathi bhi asatya
walon se darte hai...
julm hota kisi pe to sahanubhuti sab
rakhte hai...
awaj uthane ko lekin julm ke khud par
hone ka 'wait' karte hai...
.
khoulta hai khoon jiska akele hi ja
bhidte hai....
karwan ke aane tak wo kaha rukte
hai...
har aagaz hota hai 'shunya' se ye
haqiqat janlo....
nare lagane ke bajaye chalo kranti ka
aagaz karte hai....

Saturday, January 5, 2013

अजीब सी फितरत

अजीब सी फितरत है मेरे दिल की ...

जो तोड़ता है अक्सर उसे ही टूट के चाहता है ....

मेरी आरज़ू .....

काश की हाल-ए-दिल कहने को अल्फाजों की जरूरत न होती ....
.
बस साँसों की हलचल से ही समझ जाते वो मेरी आरज़ू .....

अल्फाजों से जुदा

कहने को तो अक्सर बहुत कुछ कहती रहती है वो ...

पर जो ख़ामोशी से वो कहती है वो अल्फाजों से जुदा होती है ....

Friday, January 4, 2013

अक्सर उसे नज़र नहीं आता ....

उसके करीब ... इतना  करीब हूँ मैं ....

की अक्सर उसे नज़र नहीं आता ....


दावा था उनका

दावा था उनका यह की अपनी जान से भी ज्यादा मुझे चाहते है ....

पर जाने कहाँ होते थे जब तब उनकी ही  मुन्तजिर नज़र होती थी ....

Wednesday, January 2, 2013

तेरी रजा ....

इतनी जुर्रत नहीं मुझमे ....
की तुझे खो के जी सकूँ ....
मेरी कमजोरी समझ इसे ...
या मोह्होब्बत ...ये तेरी रजा ....

मैं मस्त मौला

गम मिलते है नसीब वालों को ....
खुशिया भी उनके ही दमन में ...
एक मैं मस्त मौला मेरे दोस्त ....
न पाने की ख़ुशी न खोने का गम .....

जन्नत की तलब

ख्वाहिशें आसमान सी मेरी ...
ऊंची पर नामुमकिन नहीं ...
तू साथ है गर मेरे ए दोस्त ...
मुझे जन्नत की तलब नहीं .....

Tuesday, January 1, 2013

संगदिल ....

इलज़ाम लगा रहे वो हमपे संगदिल होने का .....
.
भूल जाते है इसी दिल में पनाह पाते है ....