Sunday, June 29, 2008

तेरा आना....

यूँ ही आजकल दिल में ख्याल आते हैं...
की तुम न मिलते तो यह जिंदगी क्या होती...
क्या इसी तरह मैं फ़िर भी खोया रहता ...
क्या इसी तरह मैं जागके भी सोया रहता...
क्या यूँ ही हर सूरत एक जेसी नजर आती...
क्या यूँ ही करवटों में रात बीत जाती...
क्या ऐसे ही कभी तन्हाई मुझे सताती...
क्या ऐसे ही एक याद होठों पे हसी लाती...
क्या यूँ ही बारिश की बुँदे मुझे जलाती...
क्या यूँ ही कोई शरारत भी मुझे लुभाती...
सच पूछो तो शायद ऐसी कोई बात नही हो पाती...
गर यूँ ही इत्तेफाकन तू मेरी जिंदगी में न चली आती...

बेदर्द लोग...

जाने कैसे इतने बेदर्द बन जाते है लोग...

जाने कैसे वादा कर के मुकर जाते है लोग...

ख्वाब में भी जो सोच नही पाते हम...

जाने कैसे वो कर गुजर जाते है लोग....

बातें करके चाहतों की कैसे कत्ल कर जाते है लोग...

सीरत में अपनी वफ़ा दिखा के कैसे दगा दे जाते है लोग...

सूरत से भी किसीकी क्या पहचान करें ....

चेहरे पे कई कई चेहरे लगा लेते है लोग....

रुलाके किसीको कैसे ठहाका लगा लेते है लोग...

गिराके किसीको कैसे मंजिल पा लेते है लोग...

वक्त तो हर एक का आता है इस दुनिया में....

फ़िर किस तरह अपना "वक्त" आने पर खुदा से नजरे मिलाते है ये लोग....

Friday, June 27, 2008

नाकाम हसरतें...

तेरी जुदाई दिल को ऐसे खलती है...
नाकाम हसरतें जेसे दिल को खलती है...
आप कहते हो की आप खफा नही हो हमसे...
शायद हो भी ऐसा, पर आपकी खामोशी खलती है...

तुमसे जुदा होके जीना पड़ेगा ये तो तस्सवुर मे भी गवारा न था...
पर कहते है न की वक्त के आगे यहाँ किसकी चलती है...
हमे तो न था नसीब , किस्मत की बातों पे ऐतबार...
पर सच है जिसकी किस्मत हो उसीकी "लॉटरी" खुलती है...

मेरे वादे पे काश की तुम्हे ऐतबार होता...
मेरी बातों पे काश की तुम्हे ऐतबार होता...
काश की तुम्हारा एक बार भी इकरार होता...
ये सब बातें है जो दिल को आज भी खलती है...