Wednesday, October 31, 2012

क्या बदला ...

न लोग बदले है और न ही कोई मंज़र ...
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मैं आज भी तबाह हूँ कल ही की तरह .....


उसूल

भूल जाना ही दफ़नाने का उसूल है ...
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गर मैंने भी यही किया तो खता कैसे ....

है इश्क गर जेहमत ...

है इश्क गर जेहमत ...
तो बेशक न उठा ....
इश्क करना ही पड़ेगा ...
ये किसी हकीम ने नहीं कहा ....

दिलरुबा

डूब के इश्क में ...
हर रंज को भुलायें  हूँ ...
जो देखती भी नहीं पलट के ...
उसे दिलरुबा बनाये हूँ ....

इलज़ाम

लेते है तेरा नाम,
निहायत ही सलीके से ...
फिर भी देख ले तू ही ..
तेरी बदनामी का इलज़ाम है मुझपे ...

मेरा वजूद

साथ साथ चलता रहा , साये की तरह ...
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अँधेरे आये और मेरा वजूद छीन गया ....

नसीहत

इश्क न करना ...
सबने ये नसीहत दी थी ...
पर मैंने जूनून में ...
किसी की कहाँ सुनी थी ....

महफ़िल

आये थे महफ़िल में शायर बड़े बड़े ...
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मैंने हल-ए-दिल कहा, लोग वाह वाह करने लगे ...

अपना बनाने के नाम पे ...

एक  दिल के कितने फ़साने ...
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सबने खेला इससे अपना बनाने के नाम पे ...

Sunday, October 28, 2012

उनके चले जाने के साथ ही ....

किसी का बनने की हसरत ...
किसी को अपना बनाने की आरज़ू ....
सब जज्बात धुल गए ....
उनके चले जाने के साथ ही ....

बयां इश्क

बयां करते करते इश्क अपना ....
हम हर राज बयां कर बैठे ...
और वो हर राज को मेरे ...
अपनी जागीर बना बैठे ....

चाहत उल्फत कि

उल्फत में न जाने कितनी जानें जाती है ...
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फिर भी चाहत इसकी कम नहीं हो पाती है ...

Saturday, October 27, 2012

अश्कों पे भी सियासत

ज़ालिम है दुनिया, वफ़ा की उम्मीद से बचिए ....
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तेरे अश्कों पे भी सियासत करने वालों की कमी नहीं ...

हमसफ़र नहीं ...

चलता रहा ता-उम्र साथ ...
रास्ता ही कहा, हमसफ़र नहीं ...
मेरे दावे को उनसे पुख्ता कर दिया ...
वक़्त पड़ने पे दूसरा हबीब चुनकर ....

तोड़ बैठता हु दिल ..

तेरे हर शिकवे का बस यही जवाब दूंगा ...
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मैं जोड़ने जाता हू, और हर बार तोड़ बैठता हु दिल ....

क्या क्या लुटाएं बैठा हूँ मैं प्यार में ....

क्या क्या लुटाएं बैठा हूँ मैं प्यार में ....
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हिसाब रखने लगा तो आशिकी छोडनी पड़ जाये ....

तासीर ख्वाब की....

उसने कहा - सुबह के उजालों में, दिल ढुंढता है ताबीरें ....
                   दिल को कौन समझाए, ख्वाब ख्वाब ही होते है ...

मैंने कहा - तासीर ही ख्वाब की ऐसी थी ....
                 ताबीरें ढुंढना  लाज़मी लगा .....

मीलों के फासले

पास होना ही किसी को हासिल करने का पैमाना नहीं होता ....
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अक्सर लोग साथ साथ रहके भी मीलों के फासले बनाये रखते है ....

Friday, October 26, 2012

तफ्तीश किये बिना ...

इलज़ाम दर इलज़ाम  ...
फकत यही काम रह गया उनका ...
मैं कितना लुटा बैठा हूँ ...
ये तफ्तीश किये बिना ....

नज़र मिला के बात भी नहीं करता ....

जाने कैसे सबको खबर हो गई मेरे प्यार के बाबत ...
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मैं तो आजकल किसी से नज़र मिला के बात भी नहीं करता ....

ए बेखबर ...

उसने कहा - कहाँ ढूंढते हो इश्क को ए बेखबर ...
                   ये खुद ही ढूंढ लेता है जिसे बर्बाद करना हो ...

मैंने कहा - कबसे बर्बाद होने को मैं बेताब बैठा हूँ ....
                 जाने इस इश्क की मुझपे नजर क्यों नहीं जाती ....

मेरी खता....

खता मेरी ही है, की हद से ज्यादा उम्मीदें लगा बैठा ....
उसने तो इस जानिब कभी कोई वादा नहीं किया ....

Thursday, October 25, 2012

उन्ही की जुस्तजू

चैन-ओ-सुकून सब नाम कर दिया उनके ...
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अब तो बस ज़िन्दगी उन्ही की जुस्तजू में कट रही है ....

उन्वान ए गुफ्तगू....

उसने कहा - चलो रखते है 'वफ़ा', उन्वान ए  गुफ्त्फू ....
                    फिर देखते है महफ़िल में रुकता कौन है ...

मैंने कहा - रखलो उन्वान ए  गुफ्तगू वफ़ा या उन्स जो चाहे ....
                 बस किसी भी बहाने तेरा दीदार हो, काफी है ....

उसी से मुहब्बत

जिसे बुरा कहके साथ चलने से बचता रहा ...
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मुक्क़द्दर ने उसी से मुहब्बत करवा दी ....

मेरा चैन-ओ-सुकून

हैं इजाजत तुझे मेरा चैन-ओ-सुकून लेने की ....
कहा ही था मैंने की तुम मेरी जान लेने की जुगत में लग गए ....

निभाने के वक़्त निभा न सके ...

कशमकश है की किसे बेवफा कहूँ ...
उसे ये अपने मुक़द्दर को ...
मैं जनता हूँ दोनों ने चाहा था टूटकर ...
बस निभाने के वक़्त निभा न सके ...

Tuesday, October 23, 2012

लत नहीं रखता ....

जो इस मुगालते में है ...
की मैं उनके बगैर जी नहीं सकता ....
जरा संभल के सितम कीजियेगा ...
मैं किसी चीज की लत नहीं रखता ....

Bhookhe nange bachhe....

wo jo hai muqaddar ke mare...
aise bachhe hai kai sare...
sir pe chhat nahi jinke...
chaddar hai aasman aur sitare...
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jante bhi nahi ki....
kya hoga unke sath...
khane ko niwala bhi...
lagega ya nahi hath...
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fate cheethdo se hi...
apna badan dhak ke...
jo mila pehen liya...
bina kiye koi nakhre...
.
pairo me pade ho chhale...
ya chubh jaye koi sheesha...
nahi dava lagane ko...
apna jakhm bhar pane ko...
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mandiro me jane kitne..
gupt daan hum karte...
par esa bhookha aa jaye...
to naak bhou sikod ke nikalte...
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chalo fasle ye mitaye jaye....
aise kisi ko gale lagaya jaye...
shayad khush ho jaye khuda bhi...
chalo kuchh poonya kamaya jaye...

Friday, October 19, 2012

इंसान दर इंसान

किसी को दर्द देती है तो किसी को देती है ख़ुशी ....
ये मोह्होब्बत भी इंसान दर इंसान रंग बदलती है ...

Thursday, October 18, 2012

ज़िन्दगी ...

किस बिनाह पे तुझसे शिकवा करू ए ज़िन्दगी ....
मैं लाया ही क्या था जो गवां दिया मेने ....

हुनर है तेरा ...

लोग कहते है ये मेरी खता है ...
में कहता हूँ हुनर है तेरा ...
की देखता हूँ तुझे जब भी ...
काबू नहीं रहता दिल पे मेरा ....

किसकी खता

तेरी यादों से आबाद रहती है
मेरे दिल की महफ़िल हर लम्हा ....
जिसे में तनहा लगता हूँ ....
ये उसकी खता है .....

Tuesday, October 16, 2012

इनायत हो जैसे ....

एक तलब थी बस तेरी मोह्होब्बत की, पुरे हक से ....
तूने की तो सही, पर ऐसे की इनायत हो जैसे ....

जात के नाम पे बंटवारा ....

है मुल्क  फिक्र मुझे ....
मेरी जात से ज्यादा ...
की नहीं है मुझे गवारा ....
मेरी जात के नाम पे बंटवारा ....

Sunday, October 14, 2012

हर लम्हा उनके नाम

हमने तो यूँ ही अपना हर लम्हा उनके नाम कर दिया ...
क्या खबर थी, वो भी किसी की खातिर ये ही किये बेठे है ....

ज़िन्दगी की हकीक़त ....

ज़िन्दगी की हकीक़त ....
मैंने बस बयां कर दी ....
जिसको शायरी लगी ....
उसने वाह वाह करदी ....

राहों की फिसलन ....

आगाज़ तो कर दिया है मेने ....
अंजाम भी कर ही देंगे ....
देखते है राहों की फिसलन ....
कितना गिरा पाती है मुझे ....

उसकी खुशी के लिए जिए

उसकी खुशी के लिए जिए, और जान भी गवां दी ....
पर उसके फसानो में भी, मेरा कहीं जिक्र नहीं ....

Saturday, October 13, 2012

mere khwab...


aye khuda kya jata hai tera...
gar mera har khwab pura karde...
ispe khuda bola ki aye bande.....
tere khwab hi kuchh ese hai...

तुझसे मिला, तेरे दिल को घर बना लिया ....

तुझसे मिला, तेरे दिल को घर बना लिया ....
पत्थर के मकानों में तो लोग रहा करते है ....

Tuesday, October 9, 2012

विधायक ....


जिसे समझा नायक, सब निकले खलनायक ....
लायक बेकार फिरे , काम पे लगे नालायक ....
राजनीती के रुपये का, हुआ केसा अवमूल्यन ....
चोर, लूटेरे खुनी सब, बन बैठे  विधायक .....

satta ka lalach..

satta ka lalach..Kya kya khel khilaye...Kal tak beta jise kahe...Wo hi dushman ban jaye....Neta kare wo kanoon..Janta kare to kanoon bhang...Dekhte jao dekhte jao...Siyasat ke hai kitne rang....Khud khane bethe to 8 hazar ki thali...Hum 32 rupaye me pura pariwar, bajao taali...Dekh ke siyasi halat khoulta hai khoon...Par humne hi sir pe bithaye hai langoor..

Wednesday, October 3, 2012

कैसे किया जाता है इश्क ..

उनसे पूछो कैसे किया जाता है इश्क ...
जिसने कभी ये किया हो ...
हमे तो हर बार ये ...
खुद बखुद  ही हो जाता है .... :)

Tuesday, October 2, 2012

lalsa....

katra katra karke maine
bharli saari tijoriya...
waqt unhi ko de na paya...
jinke khatir ki ye choriya...
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kabhi suni na maine...
bitiya ki khilkhilahat...
kabhi suni na mene...
bivi ki shiqayat..
.
bas andhadhundh...
doudta raha, karta raha lalsa...
ab tana beth ke...
khud ko kese du dilasa...