Monday, April 29, 2013

शगल है उनका

 शगल है उनका मेरी चर्चा करते रहना ...
ये और बात है ....
जुबान से वो इकरार नहीं करते ....

Thursday, April 25, 2013

कैसा इन्साफ ...

रंजिशें खामख्वाह की दिलों में दरार करती ....
क्यों बातचीत की हर राह बंद करदी ...
क्या जरुरी है की हर बार तू ही सही हो ...
क्या मेरी नज़र कभी सही नहीं हो सकती ...

खामोश हूँ मैं तो क्या हर इलज़ाम दे दोगे ...
क्या ख़ामोशी मेरी बेगुनाही नहीं हो सकती ...
मन की मुझसे अज़ीज़ है कोई तेरा अपना ...
क्या तेरे अपने से कोई खता नहीं हो सकती ....


टुटा दिल ....

 तल्खी सारे ज़माने की ...
एक मुझपे उतार दी ...
दिल किसी ने दुखाया ...
और मुझको सजा दी ...

क्यों सारी  समझाइश
एक पल में बिसार दी ....
क्यों किसी के कहने भर पे ...
मेरी दुनिया उजाड़ दी ....

 दरमियाँ हमारे इतने
 फासले किसने बढ़ा दिए ...
मुझे तड़पता देख
मेरे दुश्मन मुस्कुरा दिए ....


Wednesday, April 24, 2013

पल फुर्सत के ...

सोचा था की कुछ पल फुर्सत के ...
तेरे साथ गुजारेंगे गुफ्तगू में ...
कुछ सुनेगे तुम्हारी कुछ अपनी कहेंगे ...
ज़िन्दगी गुजर गई पर वो पल नहीं आये ....

वाकया

किसको क्या इलज़ाम दूँ मैं ...
अपनों के हाथों  मजबूर हर बार ठहरा ...
लोग बनाते रहे तमाशा सरे राह ....
मुफलिसी के चलते कसूरवार ठहरा ....

क्या गिला करूँ किसी से ... सब मेरे अपने है ...
उनके एहसानों का मैं  कर्जदार ठहरा ....
करने जाऊ तो बहुत कुछ कर जाऊ मैं ...
उनकी खता पे भी डपट न पाउ .. इतना  लाचार ठहरा ....

ख़ामोशी को केसे कमजोरी समझ लेते है लोग ...
समझ आया जब वाकया ये मेरे साथ इसबार ठहरा ...

खलिश

कुछ खलिश सी लगती है ...
जिस दिन तुमसे बात नहीं होती ...
कुछ कमी सी लगती है ...
जिस दिन मुलाक़ात नहीं होती ....

ये दरिंदगी है ये व्यभिचार है ....

   कोई कहता है छोटे कपडे मत पहनाओ ...
कोई कहता है बलात्कारी को भाई बनाओ ...
कोई कहता है एड इसके जिम्मेदार है ...
कोई कहता है लडकिय खुद इसकी जिम्मेदार है ...
पर कोई महानुभाव ये नहीं कहता ....
ये दरिंदगी है ये व्यभिचार है ....

Monday, April 15, 2013

फितरते

ये फितरते है दिल और दिमाग की ....

एक इश्क करता है दूसरा गुरुर ....

दस्तूर ज़माने का ....

    वो सितम करके भी दिलों पे राज़ करते है बदस्तूर ....

हम जितनी मोह्होब्बत करते है उतना ठुकराए जाते है ....


Thursday, April 11, 2013

मेरा चर्चा

न दी  तवज्जो मिनत्तों को , की मैं जी न सकूँगा तेरे बगैर ....

किसी और ने हाथ थाम लिया मेरा तो, हर किसी से मेरा चर्चा करने लगे ....