वो कहतें रहे , प्यार लफ्जों का मोहताज नही होता.....
और हम इकरार उनके लबों से सुनने की हसरत में रहे....
पर वोह ख़ामोशी से जो बात कह गए....
हम ताउम्र भी वोह बात अपने लबों से न कह पाए....
जो एक जर्रा-ऐ-लम्हा में वो कर गए.....
हम तमाम कोशिशों के बावजूद भी न कर पाए.....