Sunday, January 27, 2013

चश्म-ए-तर का बरसना

उसके दीदार भर से छलक जाती है आँखे ख़ुशी से ...

उसका मुझसे यूँ लिपटना , चश्म-ए-तर का बरसना लाज़मी था ...

No comments: