Tuesday, December 25, 2012

अब वो प्यार थोड़े ही है ....

खुदगर्जी के बने है रिश्ते जो हम निभा रहे है ...
तुझको मुझसे या मुझको तुझसे अब वो प्यार थोड़े ही है ....

वो दौर और ही था जब समझ जाते थे बिन कहे हाल-ए-दिल ...
न वोह दौर है अब न वो जज्बात रहे अब वो इश्क का खुमार थोड़े ही है ...

गुजर जाते थे पहरों एक दूजे की बाजुओं में यूँ ही बेसुध ....
न वो समां न खाली वक़्त और एक दूजे पे वो इख़्तियार थोड़े ही है ...

कहने को तो एक दुसरे के हो गए हम सारे फासले मिटा के ...
पहले की सी शोखी बेबाकी भरे शिकवों का गुबार अब थोड़े ही है ....

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