दुआओं में हर पल माँगा तो भी न मिली मुझे ...
हो गई उसकी यूँ ही जिसने पलट के तक न देखा था उसे ...
यूँ कहूँ तकदीरों से मिलती है मोह्होबात तो हरगिज गलत न होगा ...
मैंने अक्सर देखा है इसे अपने निहायत ही बेकदार्दानों को मिलते हुए ....
हो गई उसकी यूँ ही जिसने पलट के तक न देखा था उसे ...
यूँ कहूँ तकदीरों से मिलती है मोह्होबात तो हरगिज गलत न होगा ...
मैंने अक्सर देखा है इसे अपने निहायत ही बेकदार्दानों को मिलते हुए ....
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