Thursday, December 27, 2012

कल का हमदर्द

सहराओं में प्यासा रहना जायज है ...
दरिया भी मेरी प्यास बुझाता नहीं ...
वक़्त वक़्त की बात है मेरे दोस्त ...
कल का हमदर्द आज दर्द बंटाता नहीं ...

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