Saturday, December 15, 2012

कैसे कैसे लोग मंच पे ...

जले पे नमक छिड़कने वाले ....
अधजले को पूरा जलने वाले ....है अब मंच पे ...

लूट जिनका पेशा कत्ल छोटी सी बात ...
वतन की आबरू बेच के खाने वाले ... है अब मंच पे ...

देके पहले तो ज़ख्म खुद ही ...
मरहम लगाने के बहाने खून बहाने वाले ... है अब मंच पे ...

तबाही के मंज़रों पे ठहाके लगाने वाले ...
न मरते के बेमौत मारके रोने का ढोंग रचाने वाले ... है अब मंच पे ....

जिसे सोच के ही हमे घिन्न आये ....
वो गुनाह - ए- अज़ीम हस के कर गुजरने वाले ... है अब मंच पे .....

सह सह के गुज़र गई उम्र हमारी ...
अब मौका है मुल्क की आवाम इन्हें उतार के हम चढ़ जाते है मंच पे ....


No comments: