चुप रहके भी देखा मैंने उसकी ख़ामोशी के आगे ...
पर कोई सदा न दी उसने , न दिल से न निगाहों से ....
जबान का काम तो जबान ही करती है ...
नहीं समझता मैं आँखों की ये बोलियाँ .....
पर कोई सदा न दी उसने , न दिल से न निगाहों से ....
जबान का काम तो जबान ही करती है ...
नहीं समझता मैं आँखों की ये बोलियाँ .....
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