Friday, November 9, 2012

हिंदुस्तान में शादी .....

हिंदुस्तान में शादी .....

कहते है सब की शादी है जरुरी, जीवन निर्वहन के लिए
कहते है सब की शादी है जरुरी, वंश वर्धन के लिए
कहते है सब की शादी है जरुरी, सामाजिक जीवन के लिए
कहते है सब की शादी है जरुरी, परंपरा निर्वहन के लिए

पर हिंदुस्तान में शादी, आबादी या बर्बादी?
पहले तो लड़कियों का बिगड़ा अनुपात
फिर उसमे मिलती नहीं जांत पात
रस्मो रिवाजों का लम्बा लेखा जोखा
दहेज़ में चाहिए "पेटी" या "खोखा"
खाने को घर में या न हो, स्टेटस चाहिए
बारातियों का स्वागत ढंग से होना चाहिए

मिल जाये लड़का और लड़की, यही काफी नहीं
पहले देख तो लो लड़की का मंगल तो भरी नहीं
स्वाभाव मिले या न मिले कोई
पर कुंडली में गुण न मिले तो रिश्ता नहीं ...
यहीं भी बात ख़तम हो जाये तो गनीमत है
पर आगे भी है अनगिनत पेंच कई

रस्मों के नाम पे बारातियों की मनमनियाँ
स्वागत के नाम पे फरमायिशों की कहानियां
खुद के घर पे कैसे भी खाएं कोई हर्ज़ नहीं
बारात में जाके नुख्स जरुर बताते
उपहार नहीं दिया जाये इन्हें गर
घराती को कंजूस तक कह जाते

कितना अच्छा हो गर शादी बस खुशियों का मेला हो
लोक दिखावे की जगह दिल मिलाने का मौका हो
स्टेटस मेन्टेन करने की न कोई बंधन  हो
बस सादगी से इस रीत का  निर्वहन हो
ऐसी शादी, यादगार सम्मलेन हो ....



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