Tuesday, September 30, 2008

वाकये....

राहे उल्फत में मोड़ कुछ ऐसे भी आते हैं,

जिनके बिना एक कदम भी चलना हो मुश्किल

वोही हमे पीछे छोड़ जाते हैं....

पर जिंदगी रूकती नही ऐसे हादसों से ....

बस कुछ देर धीमे और फ़िर बस ....

बिछड़ने वालों के नाम रह जाते हैं....

ऐसा अक्सर और हर एक के साथ होता है....

फ़िर भी कुछ वाकये अक्सर रुला जाते है....

1 comment:

* મારી રચના * said...

बस कुछ देर धीमे और फ़िर बस ....
बिछड़ने वालों के नाम रह जाते हैं...

very true.... !!! like ur post.. keep it up...