हर लम्हा बस जुस्तजू है तेरी....
हर लम्हा आरज़ू है तेरी....
मुंदती नही पलके, सो भी जाऊं तो मेरी...
इन्तजार कराने की पुरानी आदत जो है तेरी...
मुझे इश्क है तुझसे, यह सब लोग जानने लगे है...
पर तुझे भी वोह एहसास है के नही, खुद मैं भी नही जानता...
कभी लगता है के बेपनाह है, और कभी लगता है जेसे जर्रा भी नही....
अपने दिल की बात अपनी आँखों से भी छुपाने की आदत जो है तेरी....
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