नही बेवफा तू ये जानता ह मैं,
पर तेरी वफाओं का भी तो ये सुबूत नहीं,
मुस्सरतें कहाँ हासिल थी मुझे,
पर मेरे में गम में भी तो तू मौजूद नहीं,
भुला देते है अक्सर वो ही, याद करने का जो दावा करते है,
रुला देते है अक्सर वो ही, हँसाने का सदा जो वादा करते है,
गेरों से तो खुशी की आरजू भी क्या करें,
गिरा देते है अक्सर वो ही, सहारा देने का जो दावा करते है,
अपने अक्स का भी ऐतबार करना मुश्किल है यहाँ 'दिल',
चुपके से दमन छुडा लेते है अक्सर वो ही, हर हाल में जो साथ देने का दावा करते है,
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