Sunday, June 29, 2008

बेदर्द लोग...

जाने कैसे इतने बेदर्द बन जाते है लोग...

जाने कैसे वादा कर के मुकर जाते है लोग...

ख्वाब में भी जो सोच नही पाते हम...

जाने कैसे वो कर गुजर जाते है लोग....

बातें करके चाहतों की कैसे कत्ल कर जाते है लोग...

सीरत में अपनी वफ़ा दिखा के कैसे दगा दे जाते है लोग...

सूरत से भी किसीकी क्या पहचान करें ....

चेहरे पे कई कई चेहरे लगा लेते है लोग....

रुलाके किसीको कैसे ठहाका लगा लेते है लोग...

गिराके किसीको कैसे मंजिल पा लेते है लोग...

वक्त तो हर एक का आता है इस दुनिया में....

फ़िर किस तरह अपना "वक्त" आने पर खुदा से नजरे मिलाते है ये लोग....

2 comments:

Anonymous said...

bhut sahi likha hai aapne. ati uttam. jari rhe.

Rakesh 'Gum' said...

Bhai , mast likhi hain , nazm poori ho gayi , khayam umda mil gaya hain :) lage raho miya