Tuesday, February 11, 2014

अदा का कायल

उसकी इसी अदा का कायल हूँ मैं
क़त्ल करके भी शुब्हा नहीं होने देते
मसरूफियत कितनी भी रहे ज़िन्दगी में
मेरी दुआ सलाम नज़रअंदाज़ नहीं करते 

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