अल्बत्ता तो गुनाहगार पकडे ही नही जाते,
पकडे जाये तो भी सज़ा नही पाते
सज़ा देने जाते है तो सियासत हो जाती है
कुछ मानवता प्रेमियो की मानवता जग जाती है
अज़ब गज़ब तर्क दे जाते है ये मानवता प्रेमी
जीवन नही दे सकते तो मौत क्यू देनी ?
कुछ तो न्यायालय को भी धत्ता बताते है
ये खुद ही दोष निर्दोष तय कर जाते है
जाने कौनसे नमक का कर्ज ये चुकाते है
जिन्हे खूनी भी पाक साफ़ नज़र आते है
इन सबपे बस यही कहती है कैल्कुलेश्न हमारी
भइया देश्भक्ति पर है सियासत भारी
पकडे जाये तो भी सज़ा नही पाते
सज़ा देने जाते है तो सियासत हो जाती है
कुछ मानवता प्रेमियो की मानवता जग जाती है
अज़ब गज़ब तर्क दे जाते है ये मानवता प्रेमी
जीवन नही दे सकते तो मौत क्यू देनी ?
कुछ तो न्यायालय को भी धत्ता बताते है
ये खुद ही दोष निर्दोष तय कर जाते है
जाने कौनसे नमक का कर्ज ये चुकाते है
जिन्हे खूनी भी पाक साफ़ नज़र आते है
इन सबपे बस यही कहती है कैल्कुलेश्न हमारी
भइया देश्भक्ति पर है सियासत भारी
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