Friday, May 29, 2009

इन्तजार....

पलकों की चिलमन में आज भी उनका बसेरा है...
वो कहते है किसी और का हो चुका तू...
हम कहते है ये 'दिल' सदा से बस तेरा है....
मेरे वादे पे अब उनका ऐतबार न रहा....
जाने हमने क्या वो गुनाह कर दिया...
भले ही अब उनकी नज़रों में मेरी वो तस्वीर न रही....
पर फ़िर भी यकीं है...की उन्हें आज भी इन्तजार सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरा है....

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