Friday, August 1, 2008

तुमसे दूरी...

जीना तेरे बिना दर्द है, बेमानी है....


तुझसे दुरी एक पल की भी बदनसीबी की निशानी है...


खफा भी हो तो कभी २ पल से ज्यादा न होना....


आख़िर तेरी चाहत ही तो मेरी जिंदगानी ...


तुमसे दूर होता हूँ तो...

तो खामोशी मेरी फितरत हो जाती है....

हर किसी सूरत में ....

तुझे तलाशना मेरी फितरत हो जाती है...

हर हरक़त पे चौंकना...

और फ़िर दिल को समझाना मेरी फितरत हो जाती है...

किस तरह बयां करूँ की...

तुम बिन जिन्दगी कितनी बदहाल नज़र आती है....

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