वो अजनबी बन गए ....
पर हमसे इत्तेफाक भी है रखते।..
है गिले उनसे बहुत।...
पर सच है आज भी बेइंतेहा इश्क है करते।..
बस सबब बता देते ....
गर अपनी बेरुखी का।...
दिल यु न जलता ....
और यु अश्क न बहते।....
उनकी यादों में जीना .....
यु दर्द न देता .....
न फुरकत उनकी यु जान लेती .....
बस गर वो मुस्कुरा के जुदा हुए होते ....
पर हमसे इत्तेफाक भी है रखते।..
है गिले उनसे बहुत।...
पर सच है आज भी बेइंतेहा इश्क है करते।..
बस सबब बता देते ....
गर अपनी बेरुखी का।...
दिल यु न जलता ....
और यु अश्क न बहते।....
उनकी यादों में जीना .....
यु दर्द न देता .....
न फुरकत उनकी यु जान लेती .....
बस गर वो मुस्कुरा के जुदा हुए होते ....
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